Chhath Puja 2023: हर वर्ष सूर्य की उपासना के लिए मनाया जानेवाला लोक आस्था का महापर्व छठ दो बार सेलिब्रेट किया जाता है. पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में. रामायण और महाभारत काल की कथाओं से जुड़ा यह पर्व लोगों की आस्थाओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसको करने के लिए किसी पुजारी, पंडित या पुरोहित की जरूरत नहीं होती है. इस पर्व को पुरुष और स्त्री दोनों की सहजता और सात्विक भाव के साथ करते हैं. 


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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला ‘छठ’ इस बार इस त्यौहार की शुरुआत 17 नवंबर से हो रहा है और 20 नवंबर को सप्तमी के दिन ऊषा अर्घ्य के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाता है. उत्तर भारत के लोग के लिए यह लोक आस्था का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस पर्व को करने के पीछे शारिरिक समस्याओं, बीमारियों से मुक्ति पाना मुख्य उद्देश्य है. लोग भगवान आदित्य से अपने और अपने परिवारजनों की स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और साथ ही समृद्ध जीवन की कामना करते हैं. इसके साथ ही इस पर्व को सूर्य की बहन षष्ठी के लिए भी रखा जाता है ऐसे में इसे संतान की प्राप्ति से जोड़कर भी देखा जाता है. नहाय-खाय के साथ शुरू होनेवाले इस त्यौहार में पहला दिन बाह्य शुद्धि फिर खरना का दिन आंतरिक शुद्धि और सूर्य की पूजा के साथ अगले दिन निर्जला व्रत रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने और पारण के साथ यह पर्व समाप्त हो जाता है. 


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ऐसे में सूर्य उपासना के इस महापर्व में आप अगर भगवान आदित्य के 108 नामों का निरंतर जाप पूरी श्रद्धा के साथ करते रहें तो आप सकारात्मकता से भर उठेंगे आपके अंदर एक नवीन किस्म की ऊर्जा का संचार होगा. आपके जीवन में आ रही सारी समस्याओं का निराकरण आपको शीघ्र मिल जाएगा. आप यश, सम्मान, सुख, समृद्धि सभी कुछ पाने में सफल होंगे. 


ऐसे में हम आपको भगवान आदित्य के 108 नाम बताने वाले हैं जिसका मंत्र सहित जाप आपको हर तरह के लाभ पहुंचाएगा.   


ॐ अरुणाय नमः


ॐ सम्पत्कराय नमः


ॐ हिरण्यगर्भाय नमः


ॐ नारायणाय नमः


ॐ सूर्याय नमः


ॐ तरुणाय नमः


ॐ परमात्मने नमः


ॐ हरये नमः


ॐ भानवे नमः


ॐ आदित्याय नमः


ॐ शरण्याय नमः


ॐ रवये नमः


ॐ नित्यानन्दाय नमः


 ॐ निखिलागमवेद्याय नमः


ॐ दीप्तमूर्तये नमः


ॐ सौख्यदायिने नमः


ॐ श्रेयसे नमः


ॐ श्रीमते नमः


ॐ अं सुप्रसन्नाय नमः


ॐ ऐं इष्टार्थदाय नमः


ॐ तेजोरूपाय नमः


ॐ परेशाय नमः


ॐ कवये नमः


ॐ सकलजगतांपतये नमः


ॐ सौख्यप्रदाय नमः


ॐ आदिमध्यान्तरहिताय नमः


ॐ भास्कराय नमः


ॐ ग्रहाणांपतये नमः


ॐ वरेण्याय नमः


ॐ अहस्कराय नमः


ॐ परस्मै ज्योतिषे नमः


ॐ अमरेशाय नमः


ॐ अच्युताय नमः


ॐ आत्मरूपिणे नमः


ॐ अचिन्त्याय नमः


ॐ अन्तर्बहिः प्रकाशाय नमः


ॐ अब्जवल्लभाय नमः


ॐ कमनीयकराय नमः


ॐ असुरारये नमः


ॐ उच्चस्थान समारूढरथस्थाय नमः


ॐ जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जिताय नमः


ॐ जगदानन्दहेतवे नमः


ॐ जयिने नमः


ॐ ओजस्कराय नमः


ॐ भक्तवश्याय नमः


ॐ दशदिक्संप्रकाशाय नमः


ॐ शौरये नमः


ॐ हरिदश्वाय नमः


ॐ शर्वाय नमः


ॐ ऐश्वर्यदाय नमः


ॐ ब्रह्मणे नमः


ॐ बृहते नमः


ॐ घृणिभृते नमः


ॐ गुणात्मने नमः


ॐ सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नमः


ॐ भगवते नमः


ॐ एकाकिने नमः


ॐ आर्तशरण्याय नमः


ॐ अपवर्गप्रदाय नमः


ॐ सत्यानन्दस्वरूपिणे नमः


ॐ लूनिताखिलदैत्याय नमः


ॐ खद्योताय नमः


ॐ कनत्कनकभूषाय नमः


ॐ घनाय नमः


ॐ कान्तिदाय नमः


ॐ शान्ताय नमः


ॐ लुप्तदन्ताय नमः


ॐ पुष्कराक्षाय नमः


ॐ ऋक्षाधिनाथमित्राय नमः


ॐ उज्ज्वलतेजसे नमः


ॐ ऋकारमातृकावर्णरूपाय नमः


ॐ नित्यस्तुत्याय नमः


ॐ ऋजुस्वभावचित्ताय नमः


ॐ ऋक्षचक्रचराय नमः


ॐ रुग्घन्त्रे नमः


ॐ ऋषिवन्द्याय नमः


ॐ ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथये नमः


ॐ जयाय नमः


ॐ निर्जराय नमः


ॐ वीराय नमः


ॐ ऊर्जस्वलाय नमः


ॐ हृषीकेशाय नमः


ॐ उद्यत्किरणजालाय नमः


ॐ विवस्वते नमः


ॐ ऊर्ध्वगाय नमः


ॐ उग्ररूपाय नमः


ॐ उज्ज्वल नमः


ॐ वासुदेवाय नमः


ॐ वसवे नमः


ॐ वसुप्रदाय नमः


ॐ सुवर्चसे नमः


ॐ सुशीलाय नमः


ॐ सुप्रसन्नाय नमः


ॐ ईशाय नमः


ॐ वन्दनीयाय नमः


ॐ इन्दिरामन्दिराप्ताय नमः


ॐ इन्द्राय नमः


ॐ इज्याय नमः


ॐ विश्वरूपाय नमः


ॐ इनाय नमः


ॐ अनन्ताय नमः


ॐ अखिलज्ञाय नमः


ॐ अच्युताय नमः


ॐ अखिलागमवेदिने नमः


ॐ आदिभूताय नमः


ॐ आर्तरक्षकाय नमः


ॐ असमानबलाय नमः


ॐ करुणारससिन्धवे नमः