Chhath Puja 2023: रामायण और महाभारत के काल से चले आ रहे लोक आस्था के महापर्व छठ को अब तो ग्लोबली पहचान मिल चुकी है. इस पर्व को मनाने वाले लोग दुनिया के जिस भी कोने में रहते हैं. इस महापर्व को वहां बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. वैसे भी भगवान सूर्य के साथ ही माता छठी की अराधान और उपासना के इस त्यौहार की बड़ी मान्यता है. यह शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाने के साथ ही संतान की रक्षा और परिवार में सुख-समृद्धि और संपन्नता के लिए मनाया जाता है. 


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नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा लोक आस्था का यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है जिसमें से 36 घंटे से ज्यादा व्रतियां निर्जला उपवास रखती हैं. शुद्धता और पवित्रता को समर्पित लोक आस्था के इस महापर्व में पहले दिन से ही बाह्य शुद्धि, दूसरे दिन खरना के दिन आंतरिक शुद्धि और फिर दो दिनों तक पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य और फिर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है. ऐसे में इस महापर्व के बारे में एक और बात है कि इसमें किसी पंडित या पुरोहित की जरूरत नहीं होती है. मतलब भक्त का सीधा संवाद भगवान के साथ हो रहा होता है. 


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ऐसे में इस त्यौहार को देश के कई हिस्सों में कई और नामों से जाना जाता है. जैसे छठ पूजा जो की सबसे ज्यादा प्रचलित नाम है. उसी तरह इसे डाला छठ, छठी पूजा, डाला पूजा, छठ मईया पूजा, सूर्य षष्ठी, कार्तिक छठ, चैती छठ, रवि षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व में बांस के बने सूप और डाले का सबसे ज्यादा उपयोग होता है ऐसे में इस डाला छठ भी कहा जाता है. 


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आपको बता दें कि साल में यह लोक आस्था का पर्व दो बार मनाया जाता है ऐसे में इसे एक बार चैत के महीने में मनाया जाता है जिस चैती छठ कहते हैं और दूसरी बार कार्तिक के महीने में यह पर्व होता है ऐसे में इसे कार्तिक छठ कहते हैं.