Durga Puja 2023: शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है. ऐसे में महाअष्टमी की अपनी एक विशेष महत्ता है. आपको बता दें कि इस दिन व्रती लोग व्रत रखते हैं और कन्याओं को भोजन कराते हैं. कन्याओं को इस दिन भोजन कराने से घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है. यह धन लाभ देने वाला होता है. इसी अष्टमी के दिन महागौरी पूजन भी किया जाता है. इस बार रविवार यानी 22 अक्टूबर को महाअष्टमी का व्रत रखा जाएगा. ऐसे में इसके शुभ मुहुर्त के बारे में जान लें. 


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दुर्गा पूजा के बीच पड़नेवाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी और दुर्गाष्टमी कहा जाता है. इस बार अष्टमी की तिथि 21 अक्टूबर को रात 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ हो रही है ऐसे में उदया तिथि के अनुसार महाष्टमी 22 अक्टूबर को होगा. इस दिन सुबह 7 बजे से लेकर 9:16 मिनट तक कन्या पूजन का शुभ समय रहेगा. 


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इस दिन कन्या पूजन के लिए गंगाजल, रोली, अक्षत, कलावा, पुष्प, चुनरी, फल, मिठाई, हलवा, चना और पूड़ी का प्रबंध करना चाहिए. कन्याओं को खाना खिलाने से पहले आसन पर बिठाकर उनके पैर धुलाना अनिवार्य है. नौ कन्याओं के साथ एक वटुक को भी इस दौरान खाना खिलाएं क्योंकि इसे भैरव का रूप माना जाता है. 


महाष्टमी के दिन मां दुर्गा को लौंग और लाल फूल जरूर अर्पित करना चाहिए. यह सभी कष्टों को दूर करनेवाला है. इसके साथ ही मां महागौरी को एक लाल चुनरी में सिक्का और बताशा भी बांधकर अर्पित करना चाहिए. यह उपाय आपके बिगड़े कार्य बना देगा. इसके साथ ही तुलसी के आसपास शाम को 9 दीपक जलाना चाहिए, साथ ही पौधे की परिक्रमा करना चाहिए. यह घर में आए रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करता है और शत्रु का इससे नाश होता है. इस दिन काले वस्त्र तो बिल्कुल भी धारण नहीं करना चाहिए, बल्कि इस दिन लाल या पीले वस्त्र धारण करना चाहिए. 


इस दिन दिन मां दुर्गा के लिए खोइछा भरने का खास महत्व बताया गया है. यह जातक को मनोवांछित फल प्रदान करनेवाला है. इस परंपरा के बारे में कहा जाता है कि इससे मां अति प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वर्षा करती है. ऐसे में इसे मां की विदाई से भी जोड़कर देखा जाता है. धान या चावल, हल्दी, सिक्का, फूल इत्यादि से मां का खोइछा भरा जाता है. मां का खोइछा भरने के लिए इसके अलावा पान, सुपारी, मिठाई भी डाला जाता है. इसके बाद मां को विधिवत तरीके से विदाई दी जाती है. इस खोइछे में मां को श्रृंगार का सामान भी दिया जाता है जो सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं समर्पित करती हैं.