Ketu Dosh:  कुंडली में मौजूद नवग्रहों में से दो ग्रह को पापी या छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है. दरअसल ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु को पापी ग्रह कहा जाता है. ऐसे में इन दोनों ग्रहों का अशुभ प्रभाव हर जातक की कुंडली में देखने को मिलता है. लेकिन, अगर दोनों ग्रह किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में हों तो यह जातक को कई तरह के लाभ भी दे जाते हैं. ऐसे में केतु ग्रह आपकी आदतों को कंट्रोल करता है. इसलिए कहा जाता है कि केतु अगर आपकी कुंडली में खराब हो तो यह आपको बुरी आदतों का सिकार भी बना देता है. आपके अंदर कई ऐसी बुरी आदतें आ जाती है जो आपके जीवन को तबाह करने के लिए काफी है. 


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ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी केतु अशुभ हो या नीच का हो या कमजोर हो तो वह बुरी आदतों का शिकार बना देता है. केतु ही आपको जोड़ों के दर्द तक भी देता है. यह आपके सुनने की क्षमता पर भी असर डालता है. यानी आपकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है. 


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केतु अगर आपकी कुंडली में कमजोर या नीच का हो तो यह आपको नसों की समस्या भी देता है. ऐसे व्यक्ति त्वचा रोग का भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे जातक को हमेशा कफ की समस्या बनी रहती है. वहीं यह आपकी रीढ़ की हड्डियों को भी समस्याओं से भर देता है. ऐसे जातक को जीवन भर संतान उत्पत्ति में भी परेशानी होती है. वहीं केतु के प्रभाव से व्यक्ति को पथरी जैसी समस्या भी हो सकती है. वहीं जातक की कुंडली में कमजोर केतु उनकी संतान के लिए भी समस्याओं का कारण बनता है. उनकी संतान को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. 


ऐसे में कमजोर केतु जिनकी भी कुंडली में हो उस जातक को केतु के मंत्र ‘ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:’ का नियमित 108 बार जाप करना चाहिए. वहीं हर शनिवार को ऐसे जातक को पीपल के पेड़ की जड़ में जल में कुश और दूर्वा मिलाकर अर्पित करना चाहिए. साथ ही शाम के वक्त इस पेड़ की नीचे घी का दीपक भी जालाना चाहिए. वहीं जातक को विघ्नहर्ता गणेश, मां दुर्गा और हनुमान जी की नियमित पूजा करनी चाहिए. वहीं प्रत्येक रविवार को ऐसे जातक को कन्याओं को मीठी दही और हलवा खिलाना चाहिए. वहीं केतु दोष के लिए कृष्ण पक्ष में पके चावल में दही और काला तिल मिलाकर पीपल के पेड़ के नीचे भोग लगाना चाहिए.