Pitru Dosh: किसी को पता चल जाए की उसकी कुंडली में पितृ दोष या पितृ ऋृण है तो वह घबरा जाता है. दरअसल इसके लिए पितृ ऋृण शब्द ही बेहतर होगा. क्योंकि आपकी उत्पत्ति जिन पितरों से हुई है वह आपके जीवन में दोष बनकर तो कतई नहीं आएंगे. ऐसे में उनकी मुक्ति के लिए उनका कुछ कर्ज या ऋृण रह जाता है जिसे चुकता करने के लिए आपका चयन किया गया है. आप इसे इस तरह मान सकते हैं. 


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अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष या पितृ ऋृण बन रहा है तो इसे शापित कुंडली कहा जाने लगता है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. बता दें कि जन्म कुंडली में सूर्य पर अगर शनि या राहु-केतु की दृष्टि हो तो पितृ ऋृण का निर्माण होता है. इसके साथ ही गुरु भी कुंडली में पीड़ित हों तो इसका निर्माण होता है. यानी गुरु पर अगर दो क्रूर या पाप ग्रहों का प्रभाव हो. गुरु कुंडली में चौथे, आठवें या 12वें भाव में हो, नीच राशि में हो तो यह ऋृण आपकी कुंडली में देखने को मिलता है. यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी तलता रहता है. 



ऐसे में पितृ ऋृण आपको कमजोर करता चला जाता है. धर्म विरुद्ध आचरण कराता है. जीवन संघर्षों से भरा होता है और मानसिक तनाल की स्थिति बनी रहती है. ऐसे में स्त्री ऋृण, गुरु ऋृण, सगे संबंधी ऋृण, शनि ऋृण, राहु-केतु ऋृण, मातृ ऋृण, ब्रह्मा ऋृण जैसे ऋृण भी इसी को कहते हैं और सबके प्रभाव अलग-अलग होते हैं. 


ऐसे में यह ऋृण अगर आपकी कुंडली में दिखे तो सबसे पहले धर्म विरुद्ध आचरण का त्याग करें. तर्पण और श्राद्ध का कर्म करते रहें. संतान में धार्मिक संस्कार डालें, हनुमान जी की नियमित पूजा करें. खूब दान पुण्य करें. 


वैसे आपको बता दें कि शनि के साथ सूर्य का संबंध जब पितृ दोष का निर्माण कुंडली में करता है तो मान लेना चाहिए कि पितरों की नाराजग एकदम नई है. यह हाल की पीढ़ियों से ही आपकी कुंडली में आया है. वहीं सूर्य के साथ राहु की वजह से यह निर्माण हो रहा है तो पितर कई पीढ़ियों से परेशानी में हैं और अब वह कोप में हैं और उसके परिणाम स्वरूप आपको यह भोग भोगना पड़ रहा है. वहीं सूर्य, शनि और राहु की युति से यह दोष बन रहा हो तो मान लेना चाहिए कि पूरे परिवार पर यह संकट बनकर आने वाला है. 


ऐसे में नियम बनाएं के साल भर हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या पर पितरों को जल दें और श्राद्ध करें. पीपल के पेड़ की पूजा जितना संभव हो जरूर करें. पीपल की जड़ में गंगाजल में काले तिल, अक्षत और फूल मिलाकर अर्पित करें. रोजाना घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं, गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराएं, दान करें, गरीब कन्या का विवाह कराएं. पितरों से अपनी गलती की क्षमा मांगे. ऐसा करने से पितृ ऋृण के प्रभाव से मुक्ति मिलने के साथ आपके पितरों को भी मोक्ष मिलता है.