Pitru Paksha 2023: गया के विष्णुपद स्थित देवघाट में जर्मनी की महिलाओं ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति को लेकर भारतीय वेशभूषा साड़ी यानी पहनकर पिण्डदान-तर्पण कर्मकांड किया. इस दौरान उन्होंने पूरी तरह से सनातन धर्म का पालन किया. 


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मोक्षभूमि गयाजी में सनातन धर्मावलंबियों द्वारा अपने पूर्वजों के आत्मा के शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान-तर्पण करने का विधान है. अपने पूर्वजों के प्रति ऐसी श्रद्धा और आस्था और कहीं नहीं देखी जा रही हैं. यही वजह है कि पिंडदान और तर्पण की कर्मकांड की महत्ता पश्चिमी देशों में भी देखी जा रही है. इसी क्रम में गयाजी में सनातन धर्मावलंबियों के आशा का केंद्र बिंदु विष्णुपद मंदिर स्थित फल्गु नदी के किनारे देवघाट में जर्मनी से आई 12 सदस्यीय दल भारतीय परिधानों में अपने पूर्वजों और परिजनों के निमित्त पूरे विधि विधान से पिंडदान-तर्पण की कर्मकांड कर रहे हैं.


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दल में जर्मनी देश के क्रिस्टिनी यूलिया अनाकोचेटकोवा औलिया और अन्य लोग कर्मकांड कर रही है. विदेशों में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं आचार्य पंडित लोकनाथ गौड़ सभी कर्मकांड संपन्न करवा रहे हैं. वह बताते हैं कि पश्चिमी देशों जैसे यूरोप ,रसिया, यूक्रेन में सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था तेजी से बढ़ रही है. 


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दल के लोग अपने पुत्र, पति और पिता के निमित्त पिंडदान कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के प्रति खासकर महिलाओं में पश्चिमी देश में काफी आस्था देखी जा रही है. सभी सदस्य पहली बार भारत आई हैं. महिला धर्मगुरु जो रसिया की रहने वाली है नताशा शप्रोनोवा भारत आकर सनातन धर्म पर रिसर्च की थी और आकर्षित होकर वे इन देशों में सनातन धर्म की महता को बता रही है. उन्होंने बताया धर्मगुरु नताशा के पहल पर रसिया से और भी लोग पिंडदान के लिए आ रहे हैं.