Puja Me Akshat: अक्षत को क्यों माना जाता है इतना पवित्र, देवी-देवताओं को क्यों किया जाता है अर्पण?
सनातन वैदिक धर्म में जितने भी तरह के अनुष्ठान, कर्मकांड या पूजा हवन इत्यादि होते हैं सभी में सफेद चावल या अरबा चावल या फिर जिसे हम अक्षत कहते हैं उसका इस्तेमाल होता है.
Puja Me Akshat: सनातन वैदिक धर्म में जितने भी तरह के अनुष्ठान, कर्मकांड या पूजा हवन इत्यादि होते हैं सभी में सफेद चावल या अरबा चावल या फिर जिसे हम अक्षत कहते हैं उसका इस्तेमाल होता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पूजा में अक्षत का इस्तेमाल क्यों किया जाता है और हर देवी-देवता को इसे क्यों चढ़ाया जाता है. अगर नहीं तो हम आपको इस लेख में बताएंगे.
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वैसे किसी भी देवी-देवता की पूजा में रोली, चंदन, कलावा, फल, फूल, कुमकुम, धूप, दीप, नैवेद्य के साथ ही अक्षत का भी प्रयोग किया जाता है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र की मानें तो अक्षत को देवी-देवताओं का प्रिय अन्न माना गया है. ऐसे में इसका उपयोग पूजा-पाठ में बेहद शुभ माना जाता है. पूजा-पाठ मानव के जीवन में सुख-शांति लाने का जरिया है और सफेद चावल के बारे में कहा जाता है कि यह शांति का प्रतीक है. ऐसे में इसका उपयोग जीवन में शांति पाने के लिए किया जाता है.
वहीं अक्षत को सबसे पवित्र और शुद्ध अन्न भी माना गया है. यह धान के अंदर से निकलता है इसलिए इसकी शुद्धता कई गुना ज्यादा होती है. ऐसे में पूजा-पाठ में इसका उपयोग होता है. वहीं जब जातक किसी पूजा पाठ का संकल्प लेता है तो भगवान से अपनी मनोकामना कहता है कि वह किस उद्देश्य से इस पूजा को कर रहा है. ऐसे में उसके हाथ में तब जल और अक्षत दिया जाता है. अक्षत कभी खंडित नहीं होता और यह एकाग्रता का सूचक है. यानी संकल्प के बाद से अब आप पूजा कि लिए एकाग्रचित्त होंगे. हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि अक्षत खंडित नहीं हो. क्योंकि इसे अर्पित करने से देवी-देवता नाराज होते हैं.