Rahu Remedies:ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कुंडली के नौ ग्रहों में से दो ग्रह पाप ग्रह या छाया ग्रह बताए गए हैं. जिनका अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को नर्क बना देता है. इन दोनों ग्रहों के नाम राहु और केतु हैं जो हमेशा ही वक्री चाल चलते हैं. ये दोनों ग्रह अपने सामने पड़ने वाले शुभ ग्रहों के शुभ फल को भी समाप्त करने की क्षमता रखते हैं. 


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ऐसे में हम आपको बताएंगे कि राहु की महादशा अगर हो तो कैसा होता है. दरअसल राहु व्यक्ति को अपनी दशा में कष्ट तो देता है लेकिन जातक से खूब परिश्रम भी कराता है और उसके बदले में उसे थोड़ा फल देता है. ऐसा करने से जातक निखरता है और वह उसके भविष्य में बड़ा काम आता है. ऐसे में आपको बता दें कि किसी भी जातक की कुंडली में राहु की महादशा 18 वर्ष की होती है और यह जातक के संघर्ष के दिन होते हैं. 



वैसे राहु किसी की कुंडली में भी तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में हो तो यह अपनी महादशा के दौरान जो परिणाम देता है वह किसी चमत्कार से कम नहीं होता है. यह वैसे भी आपके विचारों की समृद्धि आपकी मन की दृढ़ता और बौद्धिक क्षमता के भंडार के रूप में जाना जाता है. ऐसे में राहु की महादशा के दौरान 3, 6 या 9 वां वर्ष का काल ऐसा होता है जब यह शुभ या अशुभ फल देता है. इसकी महादशा के दौरान कष्ट 6ठे और 8वें वर्ष में ज्यादा मिलती है. ऐसे में कमजोर लोगों को गाली-गलौच करने से बचना चाहिए और गरीबों और कमजोर लोगों को शनिवार को दान देना चाहिए ताकि इस ग्रह के बुरे प्रभाव से बचा जा सके. 


राहु की महादशा वाले जातक को शिव मंदिर जाना चाहिए वहां 51 बेलपत्र को सूत या मौली से बांधकर शिवजी का नाम लेकर शिवलिंग को पहना देना चाहिए. ऐसे में राहु का अशुभ प्रभाव मिलना बंद हो जाएगा. 


सफेद फूल लेकर 21 बार इसे खुद के ऊपर से उतारकर राहु का स्मरण कर शिवलिंग पर वहां अर्पित कर देना चाहिए जहां से पानी गिरता है. यानी उस जगह नीचे रख देना चाहिए. राहु केतु कष्ट नहीं देगा. वही हर सोमवार और शनिवार के दिन शिवलिंग पर जल के साथ काले तिल अर्पित करना चाहिए, पानी में कुश डालकर स्नान करने से भी राहु का दोष समाप्त होता है.