पटना: आरजेडी ने अपने सांगठनिक ढाचे में आरक्षण की व्यवस्था की है. पार्टी जहां इस कदम पर खुद अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं, दूसरी ओर जेडीयू और बीजेपी ने इस पर तंज कसा है. जेडीयू ने कहा है कि, सांगठनिक ढांचे में आरक्षण की व्यवस्था से पार्टी के उन आरोपों की पुष्टि होती है जिसमें आरजेडी पर किसी खास वर्ग की पार्टी होने का आरोप लगता है.


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बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी यानि आरजेडी ने अपने सांगठनिक ढांचे में आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी है. जिसके तहत अब प्रखंड और पंचायत अध्यक्ष पदों पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 17 और अतिपिछड़ों के लिए 28 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था रहेगी. 



आरजेडी अपनी इस पहल पर पीठ थपथपा रही है. पार्टी नेता और बिहार विधान परिषद में मुख्य विपक्षी दल के सचेतक सुबोध राय ने कहा है कि, बिहार में सिर्फ आरजेडी ही ऐसी पार्टी है जिसने दलितों और गरीबों की परवाह की है. लालू यादव गरीबों और दलितों के मसीहा थे और इसी परंपरा को उनकी पार्टी आगे बढ़ा रही है.


हालांकि सत्तारूढ़ बीजेपी और जेडीयू इससे इत्तेफाक नहीं रखती है. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि इन व्यवस्थाओं से कुछ नहीं होता है. पार्टी संगठन के अंदर आरक्षण व्यवस्था लागू करने से जेडीयू के आरोपों की पुष्टि होती है. जेडीयू ने हमेशा कहा है कि, आरजेडी समाज के एक खास वर्ग की पार्टी है और खास परिवार की भी पार्टी है. लालू जी और राबड़ी देवी पंद्रह साल सत्ता में रहे लेकिन बिहार में दलितों का कितना भला हुआ. ये तो नीतीश कुमार थे जिन्होंने 2005 से लेकर अब तक दलितों के साथ सभी वर्गों का ध्यान रखा है. भारतीय जनता पार्टी प्रवक्ता अजीत चौधरी के मुताबिक, पार्टी के अंदर आरक्षण व्यवस्था लागू करने से क्या होता है. सरकार में अगर इस तरह की व्यवस्था लागू होती तो आज दलितों, अनुसुचित जाति और जनजाति के हालात कुछ और होते.
 
उन्होंने कहा है कि हमारी पार्टी हमेशा से मानती है कि, आरजेडी ने हमेशा समाज के एक खास वर्ग को हर स्तर पर प्राथमिकता दी है. ये पार्टी एक खास वर्ग की ही नहीं बल्कि एक खास परिवार की भी पार्टी है. लिहाजा इस तरह की बात सामने आ रही है. इससे हमारे आरोपों को बल ही मिलता है. सिर्फ दल में जगह देने से नहीं होता है, दिल में भी जगह देनी होती है और ये काम आरजेडी ने नहीं किया है . आरजेडी ने हमेशा एक खास वर्ग को ही प्रोमोट किया है. लेकिन हमारी सरकार ने सभी दलों के साथ लेकर चला है


 आरजेडी ने सांगठनिक ढांचे में आरक्षण की व्यवस्था के तहत जहां अनुसूचित जाति को 17 फीसदी और अतिपिछड़ों को 28 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. इसी के साथ बाकी बचे 55 प्रतिशत प्रखंड और पंचयात के अध्यक्ष पदों पर सामान्य वर्ग के कार्यकर्ता रहेंगे. अब इन नई व्यवस्थाओं का असर क्या होता है इसके लिए आरजेडी के साथ-साथ दूसरी पार्टियों को भी इंतजार करना होगा.