Chapra Madrasa Bomb Blast Case: बिहार के छपरा में मदरसा बम विस्फोट मामले में एक नया मोड़ सामने आया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की टीम ने मदरसा की जांच की है, जहां उन्हें विस्फोटक बनाने के सामान मिले हैं. आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पुलिस के साथ तलाशी अभियान का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है. इस वीडियो में मदरसे की अलमारी से विस्फोटक बनाने का सामान निकलते हुए देखा जा सकता है. इसके अलावा, यह भी पता चला है कि मदरसे में पढ़ने वाले 15 बच्चों में से 14 गायब हैं और दो मौलाना भी फरार हो गए हैं.


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बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मोतीराजपुर गांव में अवैध रूप से चल रहे मदरसा दारूल उलूम बरकतिया रिजविया गुलशन ए बगदाद में बम बनाते समय धमाका हुआ. इस धमाके में मुजफ्फरपुर से लाए गए एक बच्चे को गंभीर चोटें आईं, जिसका ऑपरेशन हुआ है और वह पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. कथित तौर पर बम बना रहे मौलाना इमामउद्दिन की इस घटना में मौत हो गई है. मदरसे में 15 बच्चे थे, जिनमें से 14 गायब हैं और अधिकांश बच्चे कटिहार के रहने वाले हैं. इस घटना में शामिल दो मौलाना और मदरसे का सदर भी फरार हैं.


प्रियंक कानूनगो ने बताया कि यह मदरसा अवैध रूप से संचालित हो रहा था और सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. तलाशी के दौरान पुलिस को एक पॉलिथीन में बंद बंदूक के छर्रे और नुकीली सुइयां मिलीं, जो कि क्रूड बम बनाने में इस्तेमाल की जाती हैं. पुलिस को इन सामानों को जब्त करने का निर्देश दिया गया है. पुलिस ने बच्चे को आरोपी बना लिया है, जो कि प्रथम दृष्टया सही नहीं लगता क्योंकि बच्चे तो दीनी तालीम के लिए मदरसे में दाखिल थे. ऐसे में मदरसा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए यदि वे बच्चों से बम बनवाते थे.


मदरसे से कुछ धार्मिक झंडे और साहित्य भी मिले हैं. इस मदरसे को कट्टरपंथी गतिविधियों का केंद्र माना जा रहा है. चूंकि इस समय चुनाव भी चल रहे हैं, इसलिए यह संभावना भी जताई जा रही है कि बच्चों से बनाए गए बम का उपयोग चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है. आयोग के इस दौरे के बाद जिले की राजनीति गर्म हो गई है. राजीव प्रताप रूडी ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है और सीधे तौर पर राजद पर आरोप लगाया है कि उनके लिए ही बम बनाए जा रहे थे. इस घटना के बाद, मदरसे के अवैध संचालन और बच्चों के उपयोग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है. पुलिस और प्रशासन को इस मामले में गहन जांच करने की जरूरत है ताकि सच सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके. इसके साथ ही अवैध मदरसों पर नजर रखने और उन्हें बंद करने के उपाय किए जाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अवैध रूप से चल रहे संस्थानों पर कड़ी नजर रखना और समय पर कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है. बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए सुरक्षित और पंजीकृत संस्थानों का ही चयन किया जाना चाहिए. पुलिस और प्रशासन की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से ही ऐसे गंभीर अपराधों को रोका जा सकता है.


इनपुट- वरुण भसीन


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