रांची: झारखंड विधानसभा में बुधवार को विपक्ष द्वारा जब वन अधिनियम 1927 में संशोधन पेश किया गया तो 'जय श्रीराम', 'भारत माता की जय', 'जय सरना' जैसे नारे लगाए गए. झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में जहां जनता के मुद्दों को लेकर संजीदगी दिखनी चाहिए, अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर सवाल और जवाब होना चाहिए लेकिन ये सब छोड़कर सदन में जय श्री राम और जय सरना के नारे गूंज रहे हैं.


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सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच सत्ता पक्ष के मंत्री और विधायक ने जय श्री राम का नारा लगाया और हंगामे के बीच अध्यक्ष ने सदन को स्थगित कर दिया. सदन के स्थगन पर नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा, अगर आपको लगता है जय श्री राम के कारण सदन स्थगित हुआ तो मुझे गर्व है. 



वहीं, पर्यटन मंत्री अमर बाउरी ने जेएमएम के पोलिस सुरीन को पूरे प्रकरण के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, अगर जय श्री राम नहीं चलेगा तो दुनिया कैसे चलेगी. जिस सदन में माननीयों के सवाल और सरकार के सवाल सुनाई देना चाहिए उस लोकतंत्र के मंदिर में शोर- शराबे और हंगामे के बीच जयश्री राम के नारे पर सियासत भी शुरु हो गई है.


सत्ता पक्ष पर विपक्ष ने राम के नाम के सहारे कस आरोप लगाया, साथ ही कहा, सत्ता पक्ष ने जिस तरीके से सदन में जय श्री राम के नारे लगाए उसमें श्रद्धा भाव के जगह उपहास सुनाई दे रहा है। साथ ही सदन को गम्भीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया.


मानसून सत्र महज 5 दिनों का है, इन 5 दिनों के सत्र को लेकर भी माननीयों की गम्भीरता नहीं दिख रही. जनता के प्रति जिम्मेदार माननीय लोकतंत्र के मंदिर में अपने-अपने क्षेत्र की समस्या को उठाने के बजाय श्री राम के नाम पर एक दूसरे से उलझते रहे और एक दूसरे पर सियासत का आरोप लगाया.