सुपौलः बिहार के सुपौल में कर्ज के बोझ तले दबी महिलाओं ने मजबूरी वश दूसरे प्रांत जाकर रोजगार तलाशने की कोशिश में जुट गई है. एक ही बस्ती की करीब सात महिलाओं ने यह कदम उठाया है. ताकि दूसरे प्रदेश में काम कर रहे अपने परिजनों के साथ मिलकर रोजगार कर ऋण का भुगतान किया जा सके.


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दरअसल, यह सनसनीखेज मामला छातापुर प्रखंड के रामपुर पंचायत के वार्ड 15 का है. जहां एक ही बस्ती की आधा दर्जन से ऊपर महिलाएं कमाने के लिए दूसरे प्रदेश चली गई है. ग्रामीणों ने बताया कि निजी फाइनेंस कंपनी के बैंक से लोन लिया था, लेकिन लोन भुगतान समय से नहीं कर पाया. जिसके चलते महिलाओं पर फायनेंस कर्मियों का दबिश बढ़ता जा रहा था. इसी से तंग आकर महिलाओं ने यह कदम उठाया है. ताकि अन्य प्रदेश में रोजगार करके ऋण की राशि का भुगतान कर सके. 


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बताया गया कि इन महिलाओं का पति पहले से अन्य प्रदेश में मजदूरी या रोजगार कर रहा है. जिससे रोजी रोटी चलती थी. इतना पैसा नहीं होता था कि ऋण का भुगतान किया जा सके. ऐसे में ये तमाम महिलाएं अपने पति या संबंधी के पास अन्य प्रदेश चले गए हैं. ताकि उनके साथ मिलकर काम कर सकेंगे और उससे आमदनी बढ़ेगी. जिसके बाद ऋण की राशि का भुगतान कर पाएंगी. महिलाओं का दूसरे प्रदेश कमाने चले जाने से चर्चा का विषय बन गया है. लोग इससे हतप्रभ हैं.


आमतौर पर अब तक हमने यही देखा है कि घर के पुरुष सदस्य दूसरे प्रांत जाकर मजदूरी या रोजगार करते रहे हैं और वहां से अपने परिजनों को पैसे भेज कर रोजी-रोटी चलाते रहे हैं. लेकिन सुपौल जिले में छातापुर प्रखंड के रामपुर पंचायत का वार्ड नं 15 महादलित बस्ती से ऐसा मामला सामने आया है जो सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं की पोल खोल रही है. कर्ज का बोझ इस कदर बढ़ा की महिलाओं को गांव छोड़कर बाहर प्रदेश जाना पड़ रहा है.


इस बस्ती की महिलाएं अब ऋण की अदायगी करने और रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे प्रांत जाकर मजदूरी करने को विवश हो गया है. कहा जाता है कि इस गांव की करीब सात महिलाएं दूसरे प्रांत रोजगार करने के लिए चली गई है. ग्रामीणों ने बताया कि महिलाओं ने एक निजी फाइनेंस कंपनी के बैंक से लोन लिया था लेकिन समय पर लोन का भुगतान महिलाएं नहीं कर पाई. जिसके चलते बैंक कर्मी द्वारा रोज उसके घर पर पहुंच कर उन महिलाओं पर दबाव डाला जा रहा था. 


आरोप तो यह भी है कि महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव भी किया जाता था. इसी से तंग आकर महिलाओं ने बाहर जाने का फैसला किया और इस महादलित बस्ती की करीब सात महिलाएं राजस्थान चली गई है. मालूम हो कि जो महिलाएं दूसरे प्रदेश गई है. उसके परिजन पहले से दूसरे प्रांत में मजदूरी करता है. यह तमाम महिला अपने-अपने परिजन के पास चली गयी है. ग्रामीणों ने कहा है कि लोन की राशि चुकता करने के लिए महिलाओं ने यह कदम उठाया है. 


ग्रामीणों ने बताया कि इस बस्ती की अधिकांश महिलाओं ने लोन लिया हुआ है और लोन की वसूली के लिए हर दिन निजी फाइनेंस बैंक के कर्मी गांव पहुंचते हैं और लोन की राशि का भुगतान करने के लिए महिलाओं पर दबाव डाला जाता है. जिससे महिलाएं परेशान है और काफी चिंतित भी है. मालूम हो कि सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है. महिलाओं में आर्थिक संपन्नता आए इसको लेकर विभिन्न स्रोतों से महिलाओं को लोन और अनुदान के अलावा रोजगार करने के अवसर भी उपलब्ध कराई जा रही है. ताकि महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बन सके और पुरुष पर आश्रित नहीं रहे. लेकिन अब ऋण धारक इन महिलाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. 


गांव में मौजूद महिलाओं ने कहा कि घर के जरूरी काम के लिए उन लोगों ने एक निजी फाइनेंस बैंक से लोन लिया, लेकिन लोन की राशि समय पर नहीं चुका पा रहे हैं. जिसके चलते अब उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद इसके इस दिशा में न तो प्रशासनिक स्तर से कोई पहल हो रही है और न सरकार द्वारा इसको लेकर समुचित पहल की जा रही है. जिससे पूरे गाँव वाले दहशत में भी है.


इधर इस बाबत पूछे जाने पर छातापुर बीडीओ डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि इस मामले में वे खुद से गांव पहुंचकर मामले की जांच करेंगे और मामले में समुचित पहल की जाएगी. फिलहाल बीडीओ राकेश गुप्ता कैमरे पर कुछ भी बोलने से परहेज किया है.


इनपुट- सुभाष चंद्रा, सुपौल


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