तेजस्‍वी यादव ने कहा, 'कांग्रेस को छोड़नी होगी 'ड्राइविंग सीट', विपक्ष को दी नसीहत'
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तेजस्‍वी यादव ने कहा, 'कांग्रेस को छोड़नी होगी 'ड्राइविंग सीट', विपक्ष को दी नसीहत'

तेजस्‍वी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी को सबसे बड़े विपक्षी दल को '' ड्राइविंग सीट'' पर बैठाना चाहिए.

तेजस्‍वी ने कहा कि कांग्रेस को अपनी रणनीति में केवल अपने हित ही नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के हितों को भी ध्यान में रखना चाहिए.(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: बिहार के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अन्य दलों को 'ड्राइविंग सीट' पर रखना चाहिए जहां वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 में बीजेपी का मिलकर मुकाबला करने के लिए 'अहंकार' को दूर रखने की जरूरत है. विपक्षी गठबंधन की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस पर दूसरे दलों को साथ लेकर चलने की बड़ी जिम्मेदारी है. यादव ने कहा, ''लेकिन कांग्रेस को यह देखना है कि वह अन्य दलों को साथ लेकर कैसे चलेगी. बिहार में हमारी (राजद) सबसे बड़ी पार्टी है तो उसे इसके अनुसार रणनीति बनानी चाहिए. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश देखिए जब मायावती जी और अखिलेश जी एक साथ आए तो उसे इसके अनुसार रणनीति बनानी चाहिए.''

  1. तेजस्‍वी ने कहा कि यूपी और बिहार में कांग्रेस को छोड़नी ड्राइविंग सीट
  2. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए विपक्ष को अहंकार से दूर रहने की जरूरत
  3. विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार का मुद्दा बेहद अहम नहीं

उनके अनुसार कांग्रेस को अपनी रणनीति में केवल अपने हित ही नहीं बल्कि अपने सहयोगियों के हितों को भी ध्यान में रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें सम्मान दिया जाए. उन्होंने कहा कि करीब 18 राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी को सबसे बड़े विपक्षी दल को '' ड्राइविंग सीट'' पर बैठाना चाहिए.

प्रधानमंत्री पद के लिए उम्‍मीदवार का मुद्दा अहम नहीं
राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद के छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का मुद्दा इतना महत्वपूर्ण नहीं है. विपक्षी दलों के लिए ''संविधान बचाने'' वास्ते सबसे ज्यादा जरूरत एक साथ आने की है. बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा, ''मेरी नजर में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के बारे में बात प्राथमिकता नहीं है क्योंकि देश खतरे का सामना कर रहा है. संविधान, लोकतंत्र और आरक्षण खतरे में है.'' उन्होंने अपनी बात पर बल देने के लिए यूपीए-1 का उदाहरण दिया जब मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया गया.

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गांधी-आंबेडकर-मंडल बनाम गोलवलकर-गोडसे के बीच मुकाबला
यादव ने कहा कि विपक्ष एक साथ आ कर जीत सकता है. उन्होंने कहा कि 2019 का चुनाव गांधी-आंबेडकर-मंडल बनाम गोलवलकर-गोडसे के बीच लड़ा जाएगा. युवा नेता ने आरक्षण पर महात्मा गांधी, बी आर अंबेडकर और मंडल आयोग बनाम आरएसएस के एमएस गोलवलकर और नाथूराम गोडसे के विचारों का जिक्र करते हुए कहा, ''सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता में विश्वास करने वाले विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों को अपने अहंकार तथा मतभेदों को पीछे छोड़कर संविधान बचाने के लिए एक साथ आना चाहिए.'' उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े की टिप्प्णी का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ''आरएसएस कानून'' लागू करना चाहती है. गौरतलब है कि हेगड़े ने कहा था कि पार्टी संविधान बदलने के लिए सत्ता में आई है.

राजग के सहयोगी दलों के बीच दरार
इस महीने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की इफ्तार पार्टी से विपक्ष के कई शीर्ष नेताओं के गैरमौजूद रहने पर विपक्षी एकता में दरार की अफवाहों को खारिज करते हुए यादव ने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह वहां नहीं थे लेकिन राजद सांसद मनोज झा ने पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कहा, ''उसी दिन हमने बिहार में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था. गांधी की इफ्तार पार्टी के लिए कई नेताओं ने अपने प्रतिनिधियों को भेजा था.''

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यह पूछे जाने पर कि भाजपा के पास नरेंद्र मोदी के तौर पर प्रधानमंत्री पद का चेहरा होने का फायदा है, इस पर यादव ने दावा किया कि राजग के सहयोगी दलों के बीच दरार है और इस बात का कोई भरोसा नहीं है कि गठबंधन बरकरार रहेगा या टूट जाएगा. राजद नेता ने कहा, ''लोगों ने चार वर्षों से मोदी जी को देखा है, उन्होंने कुछ नहीं किया. लोगों को पूछना चाहिए कि वह देश के लिए क्या कर रहे हैं. ऐसा व्यक्ति जिसने काम नहीं किया, वह कैसे प्रधानमंत्री पद का चेहरा हो सकता है. बीजेपी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है और वह मुद्दों से ध्यान भटकाती रहती है.''

सीटों के बंटवारे का पेंच
यादव ने कहा कि सीटों का बंटवारा अंदरूनी मुद्दा है और वह इस पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी 2019 के आम चुनावों के लिए एक साथ आने वाले विपक्षी दलों की राह में रोड़ा नहीं बनेगी. उन्होंने कहा, ''हम राजग की तरफ क्यों नहीं देखते. बिहार का उदाहरण लीजिए, कैसे वे नीतीश कुमार जी की भूमिका तय करने जा रहे हैं... वे शिवसेना के साथ कैसे सीटों का बंटवारा करने जा रहे हैं.''

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यादव ने कहा, ''भाजपा अकेली नहीं है. हम हमेशा क्यों भूल जाते हैं और हम हमेशा मोदी जी पर ही क्यों ध्यान केंद्रित करते हैं. उनके पास 40 सहयोगी दल हैं. वह अकेले नहीं है तो हमें क्यों अकेले रहना चाहिए.'' युवा नेता ने कहा, ''हमने महागठबंधन बनाने के लिए बिहार में एक उदाहरण दिया. लालू जी ने पहले ही विपक्षी एकता के लिए फॉर्मूला तय किया.''

(इनपुट: भाषा)