Jharkhand Assembly Elections: राजनीतिक दलों के 'रहनुमाओं' ने भी बदले ठिकाने
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Jharkhand Assembly Elections: राजनीतिक दलों के 'रहनुमाओं' ने भी बदले ठिकाने

इस साल हुए लोकसभा चुनाव से ही प्रदेश अध्यक्षों के पाला बदलने का सिलसिला जो प्रारंभ हुआ है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. दल बदलने वाले प्रदेश अध्यक्षों में सबसे अधिक संख्या कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की है.

झारखंड में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्षों ने बदला पाला. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2019) हो या इस वर्ष संपन्न लोकसभा चुनाव, नेताओं ने बड़ी संख्या में अपने 'निजाम' बदले हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कई 'निजाम' बदलने वाले नेता उन पार्टियों के इस प्रदेश में रहनुमा रह चुके थे. उनके निर्णय ही कार्यकर्ताओं द्वारा पालन किए जाते थे, परंतु आज उनके खुद 'निजाम' बदलने से उनकी ही प्रतिबद्धता बदल गई है. 

इस साल हुए लोकसभा चुनाव से ही प्रदेश अध्यक्षों के पाला बदलने का सिलसिला जो प्रारंभ हुआ है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. दल बदलने वाले प्रदेश अध्यक्षों में सबसे अधिक संख्या कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की है.

आरजेडी की प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अन्नपूर्णा देवी ने पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कमल थाम लिया, जबकि आरजेडी के ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने भी अपने राजनीतिक भविष्य का ठौर बीजेपी को बना लिया. आरजेडी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा को पार्टी ने जब अध्यक्ष पद से हटाया, तो उन्होंने नई पार्टी 'आरजेडी लोकतांत्रिक' बना ली. 

झारखंड आरजेडी के रहनुमाओं के बदलते रुख को देखते हुए उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्षों ने भी पाला बदलने में देर नहीं की. कांग्रेस के भी दो पूर्व अध्यक्षों ने अपना भविष्य दूसरे दलों में तलाश लिया. 

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा से निवर्तमान विधायक सुखदेव भगत ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले बीजेपी को अपना नया ठिकाना बनाया. वैसे, बीजेपी ने भी उन्हें निराश नहीं किया और इस चुनाव में लोहरदगा से पार्टी का उम्मीदवार बना दिया. 

लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का प्रदेश में नेतृत्व कर रहे प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने भी पाला बदल कर आम आदमी पार्टी (AAP) की सदस्यता ग्रहण कर ली. इधर, टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू भी अपने नए ठिकाने की तलाश में हैं. 

सूत्रों के मुताबिक, बालमुचू घटशिला सीट के सहयोगी पार्टी झामुमो के पास जाने से नाराज चल रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को बीजेपी की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के प्रमुख सुदेश महतो से मुलाकात की है. दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई, यह तो सामने नहीं आई है, परंतु कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी और आजसू की राहें अलग-अलग हुईं तो घटशिला से बालमुचू आजसू के प्रत्याशी हो सकते हैं.

बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रदेश अध्यक्ष रहे जलेश्वर महतो को भी जेडीयू रास नहीं आया. उन्होंने भी जेडीयू को छोड़कर कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया है. 

बहरहाल, अन्नपूर्णा देवी के आरजेडी से बीजेपी में जाने का प्रतिफल तो सांसद बनकर मिल गया है, परंतु अन्य नेताओं के लिए नया ठिकाना उनके राजनीतिक भविष्य के लिए कितना लाभप्रद होता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. कहीं ऐसा नहीं हो कि ये नेता फिर से नए आसरे की तलाश करने लगें.