बिहार विधानसभा में उठा टोप्पो लैंड का मामला, प्रदेश में 20 हजार एकड़ हैं ऐसी जमीन
सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक के सदस्यों ने टोप्पो लैंड के मसले का हल निकालने की मांग की. सरकार की ओर से कहा गया कि विधि विभाग से राय के बाद इस पर ठोस हल का फैसला लिया जाएगा.
पटनाः बिहार विधानसभा में टोप्पो लैंड का मामला फिर से गुंजा. सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक के सदस्यों ने टोप्पो लैंड के मसले का हल निकालने की मांग की. सरकार की ओर से कहा गया कि विधि विभाग से राय के बाद इस पर ठोस हल का फैसला लिया जाएगा. 2016 में सरकार ने ऐसी जमीन का टैक्स और लगान लेना बंद कर दिया था, जिसका सर्वे नहीं हुआ था, इसी जमीन को टोप्पो लैंड के नाम से जाना जाता है. ऐसी जमीन प्रदेश में 20 हजार एकड़ से ज्यादा है.
राजद के प्रहलाद यादव ने अल्पसूचित प्रश्न के जरिये टोप्पो लैंड का मामला उठाया और सरकार से ये जानना चाहा कि ऐसी जमीन पर रसीद काटी जाए और किसानों को उनका हक दिया जाए, इस पर राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने कहा कि सरकार विधि विभाग से राय ले रही है. इस पर ठोस नीति सामने लाई जायेगी.
मंत्री के जवाब से विपक्षी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए. इनका कहना था कि 2017 में भी राजस्व विभाग की ओर से यही जवाब दिया गया था एयर 2019 में भी विधि विभाग से राय लेने की बात कही जा रही है. इससे साफ लगता है कि टोप्पो लैंड को लेकर सरकार गंभीर नहीं है.
श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी टोप्पो लैंड की समस्या को गंभीर बताया और कहा कि इसकी वजह से जमीन विवाद हो रहे हैं. खून-खराबा हो रहा है, इसको देखते हुए सरकार स्थायी हल निकालने कोशिश कर रही है.
विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने मामले को गंभीर बताया और कहा कि सदस्यों की ओर से जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वो गंभीर हैं. इन सभी को सरकार को अपने एजेंडे में शामिल करना चाहिए, जब नीति बने, तो किसी तरह की समस्या नहीं रहे.
टोप्पो लैंड के मामले को लगातार विरोध होता रहा है. हाल में सपन्न लोकसभा चुनाव में भी इसका मुद्दा उठा था और तब सत्तापक्ष के नेताओ ने इसे शीघ्र हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी टोप्पो लैंड पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लिया जाना, उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करता है.