झारखंडः कभी स्पेन में मिला था फुटबॉल खेलने का मौका, आज बेच रही हैं सब्जियां
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झारखंडः कभी स्पेन में मिला था फुटबॉल खेलने का मौका, आज बेच रही हैं सब्जियां

मजबूरी ऐसी आयी कि घर चलाने के लिए रांची के फुटपाथ पर सब्जी बेचनी पड़ रही है. एक समय था जब उसे स्पेन में फुटबॉल खेलने का मौका मिला था.

दो फुटबॉल खिलाड़ी बहने अब सब्जियां बेच रही है. (प्रतीकात्मक फोटो)

रांचीः झारखंड के रामगढ़ जिले की भुरकुंडा की रहने वाली सुमन और मंजू को फुटबाल खेलकर दुनिया में झारखंड और देश का नाम रौशन करने का सपना सजाया था. अपने आंखों में सपने सजाकर 6 वर्षों तक अपने पैरों से फुटबाल को खूब नचाया, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. मजबूरी ऐसी आयी कि घर चलाने के लिए रांची के फुटपाथ पर सब्जी बेचनी पड़ रही है. एक समय था जब उसे स्पेन में फुटबॉल खेलने का मौका मिला था.

दो फुटबॉलर बहनों की कुछ ऐसी ही कहानी है. सुमन और मंजू छह साल तक दोनों ने जुनून के साथ फुटबॉल खेला. लेकिन सात महीने पहले पिता के देहांत होने के बाद घर चलाने के लिए मजबूरी में सब्जी बेचने लगी. अब फुटबॉल खेलना लगभग बंद हो गया लेकिन बड़ी बहन सुमन को अभी भी आश है कि उसे कोई मदद तो अभी भी फुटबॉल खेल में कुछ कर के दिखा सकती है.

दरअसल भुरकुंडा की रहनेवाली सुमन और मंजू, रांची में रह कर एसएस मेमोरियल में पढ़ाई करती हैं. आंखों में सपने थे और उम्मीदें थीं कि एक दिन राज्य और देश के लिए फुटबॉल खेलकर नाम कमाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. मजबूरी ऐसी आयी कि घर चलाने के लिए सब्जी बेचनी पड़ रही है.

दोनों बहन फुटबाल के साथ साथ पढ़ाई भी करती है लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से बड़ी बहन सुमन ने इंटर तक कि पढ़ाई पूरी की. लेकिन मंजू पढ़ रही है और वह अभी बीए पार्ट-1 की पढ़ाई कर रही है. वर्ष 2014 में सुमन को स्पेन में खेलने का मौका मिला था लेकिन जिस दिन फ्लाइट पकड़ कर स्पेन जाना था उसी दिन उसके पिता बीमार हो गए थे.

पिता की मौत भी हो गई. इस वजह से स्पेन नहीं जा सकी. अब सुमन ओर मंजू रांची के मोरहाबादी मैदान में फुटबॉल खेल रही है. सप्ताह में दो दिन सब्जी बेचकर गुजारा कर रही है. लेकिन मंजू कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुई. लेकिन गुस्से में आकर और सिस्टम से नाराज होकर बोली कि मैं अब कभी फुटबॉल नही खेलूंगी.