पाकुड़: जल है तो कल है! पानी पर पूरा विश्व निर्भर है. ऐसे में झारखंड के पाकुड़ का जिला प्रशासन काफी गंभीर है. प्रशासन ग्रामीणों के बीच जा-जाकर जल संचयन को लेकर जागरुकता फैला रहा है. पाकुड़ जिला पानी के मामले में सुखाड़ है. नगर के भगतपाड़ा समेत कई मुहल्ले ऐसे हैं, जिसे ड्राई जोन तक घोषित कर दिया गया है. इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में जल स्तर इतना ज्यादा नीचे चला गया है, कि पहले से लगे लगाए चापाकलों से भी पानी आना बंद हो गया है.


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हालात इतने खराब हैं कि बारिश नहीं होने पर खेत में पानी होने का कोई संकेत नहीं मिलता. धान के खेत में दरार फटने लगते हैं. ऐसे में पाकुड़ में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. वहीं, प्रशासन जल संचयन को लेकर पुरस्कार देने का काम कर रहा है. डीडीसी राम निवास यादव का कहना है कि दिन प्रतिदिन दिन जलस्तर में गिरावट आ रही है. अगर आगे भी ऐसा ही रहा तो धरती पर पानी नहीं बचेगा.


मनरेगा, जल छाजन और भूमि संरक्षण विभागों के माध्यम से जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण की दिशा में बेहतर कार्य किया गया है. अगर लिट्टीपाड़ा के नावाडीह पंचायत की बात करें तो चेक डैम निर्माण कर सिंचाई का काम जारी है. साथ ही जिले में लूज बोल्डर चेकडेम के जरिये पानी संचयन की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. 


अभी हाल ही में नगर के रविन्द्र भवन में जल शक्ति अभियान को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में लोगों को जल संचयन के बारे में बताया गया. पाकुड़ में वन विभाग, मनरेगा समेत अन्य मुखिया के फंड से जल संचयन के लिए शोकफिट बनाने का काम किया जा रहा है. चापाकल और पानी की टंकी के पास शोकफिट बनाया गया है, ताकि जल संचयन किया जा सके.


इस पर बेहतर काम करने वालों को प्रशासन ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया है. मैसेज देने का प्रयास किया कि जल संचयन करने वाले व्यक्ति को गांव का पहला व्यक्ति माना जायेगा. कार्यक्रम में मुखिया चित्रलेखा गौंड और पहाड़ पर जल संचयन करने वाले धरनी पहाड़ के पुजारी गोपाल पहाड़िया समेत कई मुखिया और दर्जनों लोगों को सम्मानित किया गया.


-- Jyoti, News Desk