अमरजीत कुमार/सासारामः बिहार के रोहतास जिला के पहाड़ी क्षेत्रों के गांव में अभी से ही पेयजल संकट गहराने लगा है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वैसे गांव जिसे सांसद ने गोद लिया हो और उस गांव में अभी से ही लोग पीने के पानी के लिए हलकान हो रहे हैं, तो सवाल उठना लाजमी है. सासाराम के भाजपा सांसद छेदी पासवान द्वारा गोद लिए गए 'सिकरिया' गांव में पेयजल की घोर समस्या है. 


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माथे पर बर्तन में पानी लिए महिला-बच्चे-बुजुर्ग सरकार के 'सांसद आदर्श गांव योजना' को मुंह चिढ़ा रहे हैं. यह रोहतास जिला के सिकरिया गांव है. इस गांव को भाजपा सांसद छेदी पासवान ने गोद लिया है. लेकिन यहां सबसे बुनियादी जरूरतों में पेयजल की सुविधा नहीं है. तो आप समझ सकते हैं कि सांसद आदर्श गांव योजना में कितना विकास हुआ होगा.



गांव की महिलाएं कहती है कि गड्ढों में एकत्र पानी को इकट्ठा करके कपड़ा साफ करना और बर्तन मांजने का काम तो चल जाता है. लेकिन पीने के लिए शुद्ध पेयजल नहीं मिलता. आलम यह है कि गांव के कुछ घरों में निजी तौर पर लोगों ने 'समरसेबल पंप' लगाया है. ऐसे में दूसरों के घरों से पानी मांग कर पीना पड़ता है.


गांव को गोद लेने के सवाल पर महिलाएं कहती है कि नेताओं ने तो बहुत गोद लिया. अब आप मीडिया कर्मी भी इस गांव को गोद ले ले. ताकि कुछ विकास हो सके. बताते चलें कि इस गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए 'मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजना' लागू हुआ. पानी की पाइप भी बिछे. लेकिन नलों से पानी नहीं निकला. लोहे के पाइप में पीतल के नलका (टोटी) तो लगे हैं. लेकिन पानी नहीं निकलता है.



इस संबंध में स्थानीय सांसद तथा इस बार के लोकसभा चुनाव मे भाजपा के फिर से उम्मीदवार बनाए गए सांसद छेदी पासवान मानते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों के गांव में पेयजल संकट है. लेकिन अगली बार अगर जनता मौका देगी तो गांव में चेक डैंप भी बनेगा और जल स्रोत विकसित करने के लिए कार्य किए जाएंगे.


मौसम चुनावी है. ऐसे में चुनावी वादा तो होंगे ही. लेकिन सवाल उठता है कि जब सांसद द्वारा गोद लिए गए आदर्श गांव की स्थिति यह है तो अन्य गांव की स्थिति क्या होगी? वैसे 19 मई को अंतिम चरण में सासाराम लोकसभा का मतदान है. देखना है कि क्या मतदाता जल संकट को लेकर क्या निर्णय करती है.