पश्चिमी चंपारण: Shiv Temple: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला के टडवलिया गांव में शिव मंदिर एक बरगद और पीपल के पेड़ में बना है. यहां भगवान शिव पेड़ की गुफा में विराजते हैं जो अपने आप में अलौकिक और श्रद्धा के साथ दर्शनीय है. सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती चली आ रही है. पेड़ के भीतर देवाधिदेव शिव का शिवलिंग भी स्थापित हैं. 


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इस विशालकाय पीपल और वट के पेड़ की शाखाओं और डालियों से भगवान शिव से जुड़ी कई आकृतियां बनी हुई हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इन दोनों पेड़ों की टहनियां आश्चर्यजनक रूप से शिव के धनुष, त्रिशूल, डमरू और गले का हार यानी सर्प का चारित्रिक एहसास दिलाती हैं. यहीं नहीं इस पेड़ की जड़ काफी दूर जाकर ॐ की आकृति बनाए हुए हैं. आश्चर्य से भरा पीपल और बरगद का पेड़ पश्चिमी चंपारण के बगहा दो प्रखंड अंतर्गत टडवलिया गांव में स्थित है.


यहां के पुजारी नंदलाल गिरी बताते हैं कि हजारों वर्ष पूर्व संत हरिनाथ बाबा ने यहां समाधि ली थी. समाधि स्थल पर एक पीपल और बरगद का पेड़ उगा और वह गुफा का शक्ल धारण कर लिया. इसमें अंदर जाने या आने के लिए एक ही रास्ता है. यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और श्रद्धालु अपनी मुरादें पूरी करने के लिए जरूर पहुंचते हैं. बगहा के टडवलिया गांव में भगवान शिव का हरिनाथ मंदिर पेड़ की गुफा में है जो चम्पारण के साथ साथ सीमावर्ती नेपाल और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए सदियों से कौतूहल का विषय बना हुआ है.


बता दें कि सालों भर यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन सावन के महीने में दर्शन और जलाभिषेक को लेकर खास तौर पर श्रद्धालु इस गुफानुमा शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने भारी संख्या में पहुंचते हैं. लिहाजा इस आस्था के केंद्र का अपेक्षाकृत उत्थान और जीर्णोद्धार की जरूरत है.
इनपुट- इमरान अजीज, बगहा


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