Zee Bihar Impact: `अब हमारे बच्चे भूखे नहीं सोएंगे`, महंत महतो और शिवपति देवी ने जी मीडिया को कहा शुक्रिया
Poor Man Mahant Mahto: पेट की आग में झुलस रहा महंत महतो का परिवार का अब भूखा नहीं सोएगा. जी बिहार झारखंड टीम का भी यही मकसद था. राशन कार्ड से राशन मिलेगा. परिवार के जिन सदस्यों का नाम राशन कार्ड में दर्ज नहीं था, वो सब दर्ज होगा.
जी मीडिया की खबर का बड़ा असर हुआ है. बुधवार को जी मीडिया ने योगापट्टी के महंत महतो की खबर प्रमुखता से चलाई थी. योगापट्टी के बगही गांव के महंत महतो दाने-दाने को मोहताज थे. किसी दिन उनके घर में खाना बनता था तो किसी दिन बच्चे भूखे सो जाते थे. उनको राशन तक नहीं मिल पाता था और राशन कार्ड में उनका नाम भी दर्ज नहीं था. जी मीडिया ने जनसरोकार से जुड़ी इस खबर को बुधवार को दिन भर दिखाई. इसके बाद पश्चिम चंपारण के डीएम दिनेश कुमार राय ने संज्ञान लेते हुए अधीनस्थ अफसरों को महंत महतो के गांव भेजा. डीएम के निर्देश पर आपूर्ति पदाधिकारी गीतांजलि कुमारी गांव पहुंचीं.
उन्होंने बताया, महंत महतो का राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक नहीं था. इसलिए राशन नहीं मिल पा रहा था. आपर्ति पदाधिकारी ने यह भी बताया कि जी न्यूज की खबर देखकर हम जांच करने के लिए आए हैं. उन्होंने बताया कि इनके राशन कार्ड में पत्नी और पोता पोती का नाम भी आज जुड़ जाएगा. सभी को राशन दिया जाएगा. महंत महतो और उनकी पत्नी शिवपति देवी ने जी मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा, अब दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज नहीं होना पड़ेगा और हमारे बच्चे भूखे भी नहीं सोएंगे.
बुधवार को जी बिहार झारखंड की टीम ने पश्चिम चंपारण के योगापट्टी प्रखंड के बगही पुरैना पंचायत के वार्ड नंबर 3 में महंत महतो के परिवार की गुर्बत की कहानी बयां की थी. महंत महतो का परिवार आज भी 14वीं सदी की जिंदगी जी रहा है. दाने दाने को मोहताज परिवार के लोग किसी दिन खाना खाते हैं तो किसी दिन मन को मारकर ऐसे ही निंदिया रानी को बुला लेते हैं.
महंत महतो और शिवपति देवी भीख मांगकर दो पोता-पोती की परवरिश कर रहे हैं. 10 वर्ष पहले इनकी बहू की मौत हो गई थी. उसके बाद बेटा मंटू महतो कहां चला गया, आज तक पता नहीं चल पाया. दोनों बुजुर्ग दंपति सड़क किनारे एक झोपड़ी बनाकर पोता पोती को पाल रहे हैं.
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महंत महतो कहते हैं, चार पेट का खाना कहा से जुगाड करें, ये समझ में नहीं आ रहा है. शरीर में अब ताकत भी नहीं है, जिससे मजदूरी कर सके. पहले गांव के लोग बहुत दयालु थे, जो अन्न पानी दे दिया करते थे, लेकिन आज लोग कुछ भी नहीं दे रहे हैं. चार परिवार के इस घर में कभी चूल्हा जलता है, तो कभी नहीं भी जल पाता. महंत महतो कहते हैं, हम तो आत्महत्या भी नहीं कर सकते, क्योंकि दो पोता पोती को पालना जो है.
REPORT: Dhananjay Dwivedi