जब रामविलास पासवान से पूछा गया क्या 2019 से पहले एनडीए छोड़ देंगे, उन्होंने दिया ये जवाब
केन्द्रीय मंत्री पासवान केन्द्र की मोदी सरकार के चार वर्ष पूरा होने पर उसकी सफलताओं का विवरण दे रहे थे.
रांची : केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने विपक्षी एकता को क्षणिक बताते हुए सवाल उठाया है कि आखिर विपक्ष का नेता कौन होगा? खाद्य एवं जनवितरण तथा उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दावा किया कि विपक्ष की तथाकथित एकता क्षणिक है और नेतृत्व के प्रश्न पर एवं स्वार्थों के टकराव के चलते यह स्थाई नहीं हो सकती.
पासवान से पूछा गया कि क्या वह भी 2019 से पहले एनडीए छोड़ देंगे, क्योंकि अनेक एनडीए सहयोगी बीजेपी के साथ अपने रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं. इस पर पासवान ने दो टूक कहा, ‘सवाल ही नहीं उठता.’ उन्होंने कहा कि वह एनडीए के साथ ही रहेंगे और एक बार फिर एनडीए सत्ता में आएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या यह सच नहीं है कि वह हमेशा सत्ता के साथ रहते हैं, पासवान ने कहा, ‘यह सच नहीं है, अलबत्ता हकीकत यह है कि वह जिसके साथ रहते हैं सत्ता उसके पास रहती है.’
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केंद्र की मोदी सरकार के चार वर्ष पूरा होने पर उसकी सफलताओं का विवरण देने यहां आए केंद्रीय मंत्री पासवान ने एक सवाल के जवाब में कहा, "मैं स्वयं चाहता हूं कि विपक्ष मजबूत हो लेकिन हकीकत यह है कि पिछले तीन दशकों में पहली बार विपक्ष इतना कमजोर है कि लोकसभा में संवैधानिक तौर पर कोई विपक्ष का नेता ही नहीं बन सका."
पासवान बोले-विपक्ष की एकता क्षणिक हैं
पासवान ने कहा, ‘हाल ही में उपचुनावों के दौरान राज्यों में बनी विपक्ष की एकता तात्कालिक थी. एक या दो सीटों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों में तालमेल बड़ी बात नहीं होती लेकिन मैं भविष्यवाणी कर सकता हूं कि यह विपक्षी एकता चलने वाली नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘यह विपक्षी एकता क्षणिक है.’ उपचुनावों में बीजेपी और एनडीए के अन्य घटकों की हार पर पासवान ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन उन्होंने दावा किया कि 2019 में होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को भारी बहुमत मिलेगा और फिर से केंद्र में उसकी सरकार बनेगी.
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उन्होंने कहा कि 2014 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने कुल 73 सीटें जीती थीं. वहां से सपा को पांच और कांग्रेस को महज अमेठी और रायबरेली की दो सीटें हासिल हुई थीं. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में आगामी चुनावों में विपक्षी एकता के नाम पर सपा, बसपा, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल आपस में सीटों का बंटवारा कैसे करेंगे. पासवान ने कहा कि जहां एनडीए में नरेंद्र मोदी जैसा सशक्त निर्विवाद नेता सामने होगा वहीं संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व आखिर कौन करेगा? उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है, ‘‘कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को क्या कोई नेता मानता है?’’
पूछा सवाल, विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपके अरविन्द केजरीवाल राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को राजी होंगे? क्या ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, कम्युनिस्ट पार्टियां, मायावती, अखिलेश यादव राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करेंगे?’ उन्होंने दावा किया कि देश में विपक्ष जिस तरह सिर्फ नरेंद्र मोदी को हटाने के एजेंडे पर एकजुट होने का दावा कर रहा है उसे जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी.
अल्पसंख्यकों के NDA से किनारा करने के सवाल पर पासवान ने कहा, ‘यह बिलकुल गलत धारणा है कि अल्पसंख्यक बीजेपी से पूरी तरह अलग हैं. अथवा बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने पर अल्पसंख्यक उसके सहयोगी दलों को भी मत नहीं देते... यह धारणा बेबुनियाद है.’ उन्होंने दावा किया, ‘मैंने और मेरी लोक जनशक्ति पार्टी ने प्रयोग किया और पाया कि बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने पर भी अल्पसंख्यकों ने हमारे पक्ष में मतदान किया है.’