Reservation Bill: नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार विधानसभा में जातिगत आरक्षण को 65% तक बढ़ाने का बिल पास हो गया है. अब यह कुल मिलाकर 75 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक होगा. इस विधेयक में OBC-EBC की 43% हिस्सेदारी होगी. इसका समीकरण कुछ इस तरह से समझें कि बिहार में अभी आरक्षण की सीमा 50% है. EWS को 10% आरक्षण इससे अलग मिलता था. लेकिन अब कुल 65 फीसदी आरक्षण मिलने लगेगा. इसके अलावा EWS का 10% अलग रहेगा. ऐसे में कुल मिलकर 75% आरक्षण का स्लॉट बन जाएगा.


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किस वर्ग में कितना बढ़ाया?
दरअसल, सर्वे के आधार पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ओबीसी और ईबीएस के आरक्षण को 30 से बढ़ाकर 43 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिए 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और 2 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 1 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी. वहीं ईडब्ल्यूएस के लिए कोटा मौजूदा 10 फीसदी ही रहेगा. इसके साथ ही अगर कुल योग किया जाए तो यह आंकड़ा 75 प्रतिशत पर पहुंच रहा है.


इसको और आसानी से इस तरह समझें
वर्ग- पहले कितना- प्रस्ताव कितना

अत्यंत पिछड़ा- 18 से बढ़ाकर - 25
पिछड़ा- 12 से बढ़ाकर- 18
अनुसूचित जाति-  16 से बढ़ाकर- 20
अनुसूचित जनजाति- 1 से बढ़ाकर-  2
जबकि EWS का 10 पहले से 


सर्वे के लिहाज से जनसंख्या
वहीं अगर सर्वे की बात करें तो बिहार में ओबीसी 27.13 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग उप-समूह (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है, एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं. विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) 6,000 रुपये या उससे कम मासिक आय पर निर्भर हैं.


क्या बोले नीतीश कुमार?
फिलहाल बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया है, जिसे सर्व सम्मति से पास करा लिया गया है. बीजेपी ने भी बिल को खुला समर्थन दिया है. हालांकि विधेयक में EWS के आरक्षण का जिक्र नहीं होने पर बीजेपी ने सवाल जरूर उठाया है. अब यह विधान परिषद और राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा. इसके साथ ही नीतीश ने एक बार फिर से मांग की है कि केंद्र सरकार भी जातीय गणना कराए. उन्होंने केंद्र से भी आरक्षण बढ़ाने की मांग की है.