Environment-Friendly Lifestyle: प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दुनिया से ऐसी जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया जो ग्रह के अनुकूल हो और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाता हो. वैश्विक पहल ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली अभियान’ (लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट मूवमेंट) की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अपने ग्रह की चुनौतियों से हर कोई वाकिफ है, इसलिए टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने के लिए मानव-केंद्रित सामूहिक प्रयासों और सुदृढ़ कार्रवाई वक्त की जरूरत है.


'जो हमारे ग्रह के अनुकूल हो'


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उन्होंने कहा, ‘लाइफ की दृष्टि है कि एक ऐसी जीवनशैली जीना जो हमारे ग्रह के अनुकूल हो और उसे नुकसान ना पहुंचाता हो. ऐसी जीवनशैली जीने वालों को ‘प्रो-प्लेनेट पीपुल’ (ग्रह हितैषी लोग) कहा जाता है. मिशन लाइफ इतिहास से लेता है, वर्तमान में काम करता है और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करता है.’


बिल गेट्स ने की पीएम मोदी की तारीफ


इस कार्यक्रम में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स, जलवायु अर्थशास्त्री लॉर्ड निकोलस स्टर्न, नज थ्योरी के लेखक प्रो. कैस सनस्टीन, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिरुद्ध दासगुप्ता, यूएनई की वैश्विक प्रमुख इंगर एंडरसन, यूएनडीपी के वैश्विक प्रमुख अचिम स्टेनर और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. बिल गेट्स ने कहा कि मैं इस वैश्विक पहल का नेतृत्व करने के लिए पीएम मोदी को बधाई देता हूं. हमारे वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत का नेतृत्व महत्वपूर्ण है... ग्रीनहाउस गैसों को खत्म करने के लिए हमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की भागीदारी सहित सभी के सहयोग की जरूरत है.


पर्यावरण के लिए पीएम मोदी हमेशा करते हैं जागरूक 


पिछले साल ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप26) के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा ‘लाइफ’ का विचार पेश किया गया था. यह विचार पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली को बढ़ावा देता है, जो बिना गंभीर विचार किये और विनाशकारी उपभोग' के बजाय 'सोच-समझकर और विचार आधारित उपयोग' पर केंद्रित है.


'लाइफ ग्लोबल कॉल फॉर पेपर्स'


इस विचार को आगे बढ़ाते हुए 'लाइफ ग्लोबल कॉल फॉर पेपर्स' की भी शुरुआत की जाएगी, जो दुनिया भर में व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को पर्यावरण जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिए प्रभावित करने और उनसे अनुरोध करने के क्रम में शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों आदि से विचारों और सुझावों को आमंत्रित करेगा.



(इनपुट भाषा)


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