श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ दिया है. इसके साथ ही यहां महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई है. इस गठबंधन के टूटने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी ने यह गठबंधन तोड़कर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के लिए राह खोल दी है. दरअसल, बीजेपी साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से लगातार कह रही है कि वह कांग्रेस मुक्त भारत देखना चाहती है. वहीं कांग्रेस किसी भी सूरत में देश में अपना अस्तित्व को बचाए रखने की कोशिश में जुटी है. 


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अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए कांग्रेस किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने के फॉर्मूले पर चलना शुरू कर दिया है. इसका नमूना कर्नाटक में दिख चुका है. यहां कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार चला रहे हैं. जबकि चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ थे. किसी भी सूरत में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने करीब आधी सीटें हासिल करने वाली पार्टी जेडीएस को मुख्यमंत्री का पद दे दिया है.


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कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट करके उतरने की कोशिश में जुटे हैं. इसके लिए वे क्षेत्रीय पार्टियों के साथ बिना शर्त गठबंधन करने की राह पर निकल चुके हैं.


अगर कांग्रेस जम्मू कश्मीर में भी सरकार बनाने की पहल करती है तो उसके पास दो विकल्प मौजूद हैं.


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विकल्प-2
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी: 28 विधायक
कांग्रेस: 12
जम्मू कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस: 2 विधायक
पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट: 1 विधायक
निर्दलीय: 3 विधायक
अगर ऐसा कोई गठबंधन बनता है तो महबूबा मुफ्ती अपनी सरकार बचा सकती हैं. इस गठबंधन में भी 46 विधायक के एक पाले में हो सकते हैं.


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विकल्प-3
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी: 28 विधायक
नेशनल कांफ्रेस (फारुख अब्दुल्ला की पार्टी): 15 विधायक
कांग्रेस: 12
कुल विधायक: 55 इस तरह महबूबा मुफ्ती गठबंधन सरकार चला सकती हैं. हालांकि यह विकल्प काफी मुश्किल दिख रहा है. क्योंकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस का एक साथ आना मुश्किल दिख रहा है.