त्रिपुरा की राजनीति में बीजेपी ने सीधे शून्‍य से सत्‍ता तक का शिखर तय किया है. शुरुआती रुझानों के मुताबिक बीजेपी को स्‍पष्‍ट बहुमत मिला है. बीजेपी ने त्रिपुरा में 'चलो पलटाई' (चलो करते हैं बदलाव) का नारा दिया था. बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की सधी रणनीति और पीएम मोदी के आक्रामक चुनावी अभियान के बूते बीजेपी ने रुझानों के मुताबिक इतिहास रच दिया है. यदि यही रुझान वास्‍तविक रूप से सीटों में बदलते हैं तो बीजेपी पहली बार पूर्वोत्‍तर के इस राज्‍य की सत्‍ता हासिल करने जा रही है. बीजेपी महासचिव राम माधव ने पार्टी की जीत में इस नारे की अहमियत के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि जनता ने इस नारे को समर्थन दिया है. बीजेपी के लिए यह जीत इसलिए भी अहम है क्‍योंकि पिछली बार बीजेपी को यहां महज 1.5 प्रतिशत वोट मिले थे. उसके पांच वर्षों के भीतर ही सीधे सत्‍ता में काबिज होना एक बड़ी चुनावी सफलता है.


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LIVE : त्रिपुरा के रुझानों में 25 साल बाद लेफ्ट का किला ध्‍वस्‍त, बीजेपी दो तिहाई बहुमत की ओर


मोदी लहर
2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पहली बार त्रिपुरा में सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले. उसके बाद से बीजेपी के सियासी ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली. उसके बाद से पार्टी ने यहां लगातार अपने कैडर को बनाने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं. राज्‍य के आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी ने अच्‍छी पकड़ बनाई. 60 में से करीब 25 सीटों पर प्रभावी भूमिका निभाने वाले आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी की बढ़ती पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी ने सोनामुरा रैली के जरिये बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया तो उसमें उपस्थित भारी भीड़ ने इसका अहसास कराया कि अबकी बार बीजेपी यहां मजबूत होकर उभरेगी. शुरुआती रुझान इस अनुमान पर अपनी मुहर लगाते दिख रहे हैं.


त्रिपुरा: पिछली बार मिले 1.5 प्रतिशत वोट, अबकी बार सत्‍ता की दहलीज तक BJP


माणिक सरकार की छवि काम नहीं आई
इसके साथ ही पिछले दो दशकों से त्रिपुरा की सत्‍ता के निर्विवाद चेहरा रहे माकपा(सीपीएम) नेता मुख्‍यमंत्री माणिक सरकार इस बार अब तक की सबसे कड़ी सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं. वैसे तो माकपा का शासन त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से हैं और माणिक सरकार 1997 से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं लेकिन इस बार उनको पहली बार बीजेपी के रूप में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा . कांग्रेस की सूबे की सत्‍ता से साफ होने और उसकी जगह पिछली बार तृणमूल कांग्रेस के उभार लेकिन बाद में आंतरिक टूट-फूट का सीधा लाभ बीजेपी को मिला. इसलिए इस बार त्रिपुरा में पहली बार सीधी लड़ाई माकपा के नेतृत्‍व में वाम मोर्चे और बीजेपी के बीच हुई है. त्रिपुरा में माकपा की सबसे बड़ी पूंजी माणिक सरकार की स्‍वच्‍छ छवि मानी जा रही है. बीजेपी इस बात को अच्‍छी तरह से जानती है. इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहली चुनावी रैली मुस्लिम बहुल इलाके सोनामुरा में की थी. इसके जरिये बीजेपी ने माणिक सरकार को सीधी चुनौती दी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि माणिक सरकार इसके पड़ोस में स्थित धनपुर सीट से चुनाव लड़ते हैं. सोनामुरा से बीजेपी प्रत्‍याशी आगे चल रहा है और धनपुर से माणिक सरकार आगे चल रहे हैं.


त्रिपुरा: राहुल गांधी का नहीं दिखा असर, केवल 1 सीट पर कांग्रेस को बढ़त


कांग्रेस
इन सबके बीच त्रिपुरा में कांग्रेस का प्रदर्शन कोई खास नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी के प्रचार के बावजूद कांग्रेस बड़ी मुश्किल से केवल एक सीट पर बढ़त बनाती दिख रही है. एक दौर में सत्‍ताधारी माकपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर होती थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस स्‍पेस को बीजेपी ने कैप्‍चर कर लिया है.