Bilkis Bano Rape Case: `बिलकिस बानो के रेपिस्ट ब्राह्मण हैं, जिनके `अच्छे संस्कार` हैं, बीजेपी विधायक का बयान
Bilkis Bano Gangrape Case: गोधरा से बीजेपी विधायक सी. के. राउलजी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि 15 साल से ज्यादा समय बाद जेल से रिहा किये गए दोषी अपराध में शामिल थे या नहीं. बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आजीवन कारावास की सजा पाए सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप जेल से रिहा कर दिया गया था.
Gujarat Riots 2022: बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सजा माफ करने वाली सरकारी समिति का हिस्सा रहे बीजेपी के एक विधायक ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों के इस मामले में दोषी कुछ लोग 'ब्राह्मण' हैं जिनके अच्छे 'संस्कार' हैं और यह संभव है कि उनके परिवार की अतीत की गतिविधियों के चलते उन्हें फंसाया गया होगा.
गोधरा से बीजेपी विधायक सी. के. राउलजी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि 15 साल से ज्यादा समय बाद जेल से रिहा किये गए दोषी अपराध में शामिल थे या नहीं. बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आजीवन कारावास की सजा पाए सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप जेल से रिहा कर दिया गया था.
'दोषियों को फंसाया गया हो सकता है'
गुजरात सरकार की सजा माफी योजना के तहत उन्हें रिहा किया गया था. राउलजी ने कहा, 'हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर निर्णय लिया था. हमें दोषियों के आचरण को देखना था और उन्हें समय से पहले रिहा करने पर निर्णय लेना था.' उन्होंने कहा, 'हमने जेलर से पूछा और पता चला कि जेल में उनका आचरण अच्छा था. इसके अलावा कुछ दोषी ब्राह्मण हैं. उनके संस्कार अच्छे हैं.' राउलजी ने कहा कि दोषियों को फंसाया गया हो सकता है.
उन्होंने कहा, 'संभव है कि उनके परिवार के अतीत में किये गए कामों के कारण उन्हें फंसाया गया हो. जब ऐसे दंगे होते हैं तो ऐसा होता है कि जो शामिल नहीं होते उनका नाम आता है. लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपराध किया था या नहीं. हमने उनके आचरण के आधार पर सजा माफ की.'
'मेरा न्याय पर भरोसा टूट गया है'
हाल ही में बिलकिस बानो ने कहा था कि उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया है. बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी सभी 11 लोगों को गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत सजा माफी दे दी.
सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बिलकिस ने कहा था कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और नाही उनके भले के बारे में सोचा. उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें ‘‘बिना डर के शांति से जीने’ का अधिकार देने को कहा.
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