2014 में पहली बार स्‍पष्‍ट बहुमत से सत्‍ता में आने वाली बीजेपी छह अप्रैल को अपना 38वां स्‍थापना दिवस मना रही है. भले ही आज बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने का रुतबा हासिल हो गया हो लेकिन अपनी इन चार दशकों की यात्रा में इसने बड़े सियासी उतार-चढ़ाव देखे हैं. एक तरफ 1984 में जहां ये मात्र दो सीटों पर सिमट गई तो वहीं दूसरी तरफ 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के पहले गैर-कांग्रेसी परंपरा के नेता के रूप में इसी पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.  


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जनसंघ से जुड़ाव
बीजेपी का उदय जनसंघ से हुआ. दरअसल 1977 में जनता पार्टी के गठन के लिए जनसंघ(1951 में गठन) का उसमें विलय हो गया. उस साल के चुनावों में जनता पार्टी 295 सीटों के साथ सत्‍ता में आई लेकिन आंतरिक विरोधों के कारण यह प्रयोग महज 30 महीने में टूट गया. नतीजतन जनवरी, 1980 में हुए चुनावों में जनता पार्टी की भारी पराजय हुई और इसको महज 31 सीटें मिलीं. उसके बाद कांग्रेस के विकल्‍प की राजनीति को धार देने के लिए छह अप्रैल, 1980 को बीजेपी (पूर्ववर्ती जनसंघ) का उदय हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी इसके संस्‍थापक अध्‍यक्ष बने और उन्‍हीं के नेतृत्‍व में दिसंबर, 1980 में बीजेपी की पहली बैठक हुई. वह 1986 तक इस पद पर रहे.


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जब मिलीं केवल दो सीटें...
1984 के आठवें आम चुनावों में बीजेपी वोट शेयर के लिहाज से दूसरे नंबर पर रही लेकिन उसको महज दो सीटों पर कामयाबी मिली. इंदिरा गांधी की हत्‍या की पृष्‍ठभूमि में ये चुनाव हुए थे. करारी शिकस्‍त के बाद बीजेपी ने गहरे आत्‍ममंथन की बात कही. उसी दौर में लालकृष्‍ण आडवाणी 1986 में बीजेपी के पहली बार अध्‍यक्ष रहे. उनका पहला कार्यकाल 1986 से 1990 तक रहा.


जनता दल सरकार को समर्थन
1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 85 सीटें मिलीं. बीजेपी और कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों ने जनता दल सरकार को समर्थन दिया और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. सितंबर, 1990 में अयोध्‍या मुद्दे पर लालकृष्‍ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्‍या तक रथ यात्रा की. उसके बाद मुरली मनोहर जोशी 1991 से 1993 पार्टी के अध्‍यक्ष रहे.


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अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने.(फाइल फोटो)

पहली बार सत्‍ता में पहुंची
1991 के आम चुनावों में बीजेपी को 120 सीटें मिलीं. लालकृष्‍ण आडवाणी 1993-1998 तक दूसरी बार बीजेपी अध्‍यक्ष रहे. 1996 के चुनावों में 161 सीटें मिलीं. नतीजतन पहली बार 13 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने. वह इस पद तक पहुंचने वाले पहले गैर-कांग्रेसी परंपरा के नेता बने. 1998 में 12वें आम चुनाव में बीजेपी को 182 सीटें मिलीं और वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने. उनके नेतृत्‍व में बीजेपी की गठबंधन सरकार 13 महीने चली. उसके बाद 1999 में फिर 13वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए और बीजेपी को 182 सीटें मिलीं. वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा किया और 2004 तक पार्टी सत्‍ता में रही.


2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बीजेपी को पहली बार स्‍पष्‍ट बहुमत मिला.(फाइल फोटो)

पीढ़ीगत बदलाव
2004 और 2009 के आम चुनावों में बीजेपी को क्रमश: 138 और 116 सीटें मिलीं. 2011 में बीजेपी के नेतृत्‍व में एनडीए की नौ राज्‍यों में सरकारें थीं. इसी दौरान में पार्टी ने पीढ़ीगत बदलाव के तहत नए नेतृत्‍व की आवश्‍यकता पर बल दिया. नतीजतन राजनाथ सिंह ओर नितिन गडकरी पार्टी के अध्‍यक्ष बने. 2013 में राजनाथ सिंह दूसरी बार पार्टी अध्‍यक्ष बने. उसी साल सितंबर में पार्टी कैडर और जनभावनाओं को देखते हुए पार्टी अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 के आम चुनावों के लिए पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया.


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मोदी लहर
नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने इतिहास रचते हुए 282 सीटों के साथ एक दशक बाद सत्‍ता में वापसी की. पहली बार बीजेपी को अपने दम पर स्‍पष्‍ट बहुमत मिला. उसके बाद अमित शाह पार्टी के अध्‍यक्ष बने. पीएम मोदी और अमित शाह की अगुआई में इस वक्‍त 20 से अधिक राज्‍यों यानी 70 प्रतिशत हिंदुस्‍तान के हिस्‍से पर बीजेपी के नेतृत्‍व में एनडीए की सरकारें हैं.