Divorce Judgment: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने पति-पत्नी के बीच के तनावभरे रिश्तों को लेकर दायर की गई एक याचिका में पत्नी के 20 साल से ज्यादा समय तक अलग रहने के आधार को जायज मानते हुए पति की तलाक की अर्जी को मंजूरी देते हुए उनकी शादी को खत्म यानी डिजॉल्व कर दिया है. दंपती ने पहले तलाक के लिए आपसी सहमति से ठाणे जिला कोर्ट में आवेदन किया था, मगर बाद में पत्नी ने तलाक की सहमति को वापस ले लिया था.


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यह आचरण क्रूरता: HC


अदालत ने अपना फैसला सुनता हुए सख्त टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा, 'निचली अदालत में सुनवाई के बाद से पत्नी एक बार भी हाई कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई. 18 साल से ये अपील कोर्ट में लंबित है. पत्नी ने अपील की कोई पड़ताल नहीं की. निचली अदालत ने केस से जुड़े तथ्यों और सबूतों को सही नजरिए से नहीं समझा. इस मामले में पत्नी का यह आचरण क्रूरता के दायरे में आता है. वैवाहिक जीवन पूरी तरह टूट चुका है. वैवाहिक रिश्ते में आत्मीयता का अभाव है. शादी के रिश्ते के पुनर्जीवित होने की संभावना नहीं है. दोनों ने एक दूसरे को छोड़ दिया दिया है. पत्नी, अपने पति से अलग रह रही है. इसलिए ये शादी भंग की जाती है.'


इस तरह बिगड़ती चली गई बात


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गौरतलब है कि इस केस में जिला कोर्ट ने तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था. निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में अपील की थी. इस कपल की शादी 19 अप्रैल, 1999 में हुई थी. दोनों की ये दूसरी शादी थी. पहली शादी से दोनों को एक-एक बेटी थीं. शादी के कुछ समय बाद तनाव पैदा हो गया.


पति ने कोर्ट में कहा, 'मेरे और पत्नी के स्वभाव, आदतों, रुचियों, विचारों और बातों में भिन्नता बढ़ती जा रही थी, पत्नी के जिद्दी स्वभाव और हावी होने की प्रवृत्ति से सभी परिजन परेशान थे. मेरी बूढ़ी मां और बेटी के प्रति भी उसका व्यवहार सही नहीं था, जिससे मेरा दूसरी शादी करने के उद्देश्य और सपना टूट गया.'


इस तरह कानून की नजरों में बेमेल दिख रहा ये रिश्ता कानूनी रूप से टूट गया.