इलाहाबाद के बमबाज थे दहशत का दूसरा नाम, हत्या करने के लिए देशभर से आता था बुलावा
Umesh Pal Murder Case: 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र में उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. लंबे समय बाद इस हत्याकांड में बमबाजी देखी गई थी.
Prayagraj News: प्रयागराज के उमेशपाल हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था जिसमें खुलेआम फारिंग और बमबाजी को देखा जा सकता था. प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में हत्या के लिए बम का प्रयोग काफी पहले से चला आ रहा है.
बमबाजी का पहला मामला
1972-73 में एक इंजीनियर की सदियाबाद में बमों से मारकर हत्या कर दी गई. माना जाता है कि इलाहाबाद में बम से हत्या करने का यह पहला मामला था. इसके बाद 1974-75 में बम से हत्या की दूसरी घटना सामने आई जब भोला पहलवान नामक शख्स की लोकनाथ व्यायामशाल के पास मर्डर कर दिया गया.
हर मोहल्ले में होता था बमबाज
शहर के पुराने जानकार बताते हैं कि इलाहाबाद के लगभग हर मोहल्ले में एक बमबाज होता था, जिनकी अलग-अलग खासियत होती थी. वे बताते हैं बम बनाने वाले लोगों के हाथों में आमतौर पर कोई न कोई खराबी होती थी क्योंकि इनके हाथ अक्सर बम बनाते वक्त कट-फट जाते थे. यह भी कहा जाता है कि प्रयाग राज के बमबाज कभी अपने इलाके में बम नहीं फेंकते थे. ये बामबाज जरुरत पड़ने पर तुरंत बम बनाने में महिर होते थे.
दो तरह के बम होते थे इस्तेमाल
माना जाता है कि इलाहाबाद के बमबाज बम दो तरह से बनाते थे. एक बम वह होता था जो हत्या करने के लिए इस्तेमाल होता था. इसे गंधक, पोटाश, मेंशन, लोहे के छर्रों समेत बालू का इस्तेमाल कर बनाया जाता था.
दूसरा बम धमाका करने के लिए होता था ताकि लोगों में दहशत फैलाई जा सकते या भीड़ को तितर-बितर किया जा सके. इस तरह के बम को बनाने के लिए गंधक, पोटाश और छोटी गिट्टी का इस्तेमाल किया जाता था. 80 के दशक में पेट्रोल बमों का इस्तेमाल होने लगा.
दूसरे राज्यों से आने लगा बुलावा
इलाहाबाद के बमबाजों को धीरे-धीरे दूसरे राज्यों में हत्या करने के लिए बुलाया जाने लगा. इलाहाबाद का एक मशूहर बमबाज श्रीराम के बारे में कहा जाता है कि उसने एक हफ्ते में 6 लोगों को मारा था. इस्लाम नाटे, जग्गा, सलीम नैनी, पप्पू डिस्को, रईस तुल्ला, अच्छे गढ़ी सराय, रईस राजा, पप्पू दाएं, चांद बाबा, किन्ना पासी, सलीम महेवा को बम बनाने का उस्ताद माना जाता था.
हालांकि बदलते वक्त के साथ अपराधियों ने बम की जगह आधुनिक पिस्तौलों का उपयोग करना शुरू कर दिया. लंबे समय उमेशपाल हत्याकांड में बमबाजी को देखा गया.
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को धूमनगंज थाना क्षेत्र में उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह पूरी घटना आसपास के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी जिसकी मदद से ज्यादातर शूटर की पहचान हो गई है.
उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने घटना के अगले दिन धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक के दो बेटों, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम एवं नौ अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
उमेशपाल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या का मुख्य गवाह था.
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