Switzerland News: स्विट्जरलैंड में महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या किसी अन्य तरीके से पूरी तरह मुंह ढंकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस मामले पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी और मुरादाबाद में मौलाना अमीर हमजा ने प्रतिक्रिया दी. मुफ्ती असद कासमी ने एक वीडियो बयान में कहा कि हर इंसान को अपने मजहब में जीने की आजादी है. इसी तरह स्विट्जरलैंड में रहने वाले मुसलमानों को अपने दीन, अपनी शरीयत पर चलने की आजादी देनी चाहिए. मैं स्विट्जरलैंड सरकार के बुर्का बैन के कानून की कड़ी निंदा करता हूं. ऐसे कानून को तुरंत खत्म किया जाए, उसकी निंदा की जाए क्योंकि हर शख्स को जीने की आजादी है. इसलिए, मैं स्विट्जरलैंड के हुक्मरानों से अपील करता हूं कि वहां इस तरह का कानून ना लगाया जाए.


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बुर्का इस्लामिक कल्चर: मौलाना


मुरादाबाद में मौलाना अमीर हमजा ने कहा कि स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगाना गलत है. बुर्का इस्लामिक कल्चर है. हर धर्म यह आजादी देता है कि आप उसके हिसाब से अपनी जिंदगी गुजारें. कहीं पर भी बुर्के पर बैन की खबर सामने नहीं आई है, ऐसा कहीं नहीं है. लेकिन पहली बार स्विट्जरलैंड में बुर्के पर बैन की खबर सामने आई है. ऐसा कानून नहीं बनाना चाहिए, जिससे की किसी समुदाय को तकलीफ हो.


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उन्होंने आगे कहा कि कोई देश इस तरह से चलता है, जिसमें जिस भी समाज के लोग रह रहे हैं, हर समाज का हम ख्याल रखें तभी हमारी सरकार सफल कहलाती है. हर समाज, हर वर्ग, हर तबके के लोगों का हम ख्याल रखें, तब हमारी सरकार सही कहलाती है. कानून हर किसी के लिए समान होता है और कानून कभी भी आपके धर्म पर उंगली नहीं उठाता है और धर्म के खिलाफ कोई भी कानून पास नहीं किया जाता है. स्विट्जरलैंड की सरकार ने बुर्के पर जो बैन की बात की है वो गलत है. हम सरकार से अपील करते हैं कि वो इस तरीके का काम ना करे जिससे समाज का माहौल बिगड़े और नफरत का माहौल पैदा हो जाए.


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्विट्जरलैंड में नए साल 2025 पर महिलाओं पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया है. अब बुर्के, नकाब या किसी अन्य तरह की चेहरा ढकने की चीज के साथ सार्वजनिक स्थानों पर निकलने वालों पर 1000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना लगाया जा सकता है. (IANS इनपुट)