मेरे अंदर जो धक-धक कर रही है
मुझे पता है... तुम घबरा रही हो... 
दुनिया को बेटी नहीं चाहिए.... 
दुनिया न बदले तो दुनिया को बदलने के लिए आना 
तुम आना तो बेटी बनकर आना


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बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने एक 2.48 मिनट वीडियो शेयर किया है. जिसमें प्यारी-सी आवाज में ये पंक्तियां सुनने को मिलती हैं. ये न सिर्फ इमोशनल कर देती हैं बल्कि मां बनने वाली एक औरत के मन में चल रही उधेड़बुन को भी बयां करती हैं. उस एहसास को दिखाया गया है, जो बच्चा इस दुनिया में आया भी नहीं है, उसे लेकर कैसे लोग कानाफूसी कर रहे हैं. बेटा ही जन्म लें, सब ये आशीर्वाद दे रहे हैं. लेकिन एक वो मां है, जो बस बेटी की ख्वाहिश लिए हैं. ये वीडियो है उन बेटियों के नाम, जिन्हें किसी ने मांगा नहीं है.


पीयूष पांडे और उनकी टीम ने इस विज्ञापन में बहुत ही खूबसूरत पंक्तियों का इस्तेमाल किया है. कलम से निकले एक-एक शब्द मां की भावनाओं को जाहिर करते हैं. एक महिला की गोदभराई की रस्म हो रही है. सब लल्ला आने वाला है, ऐसे गीत आ रहे हैं. महिला को सब आशीर्वाद देते हैं कि बेटा ही होगा. मगर उस मां के अंदर का एहसास तो कुछ और ही है. उसे तो बेटी चाहिए, जिसमें वह खुद को देखती है. जिसमें उसकी परछाई हो. 


अब वह मां पेट में पल रही औलाद से क्या कहती हैं वह सुनिए. तुम पेट में छुपकर तो नहीं सुनती हो न. कोई मुझसे कहता है बेटा होगा, तो दिल पर तो नहीं लेती हो. देखो, इन सुनी-सुनाई बातों पर मत जाना. तुम्हें मां ने मांगा है, ये मत भूल जाना...तुम आना और बेटी बनकर आना. तुम्हें पाने के लिए कितने व्रत रखती हूं. मंदिर की सीढ़ियां चढ़ती हूं. भगवान को बेटा सुनने की आदत है न, इसलिए बार-बार कहती हूं..तुम्हें कोई नहीं चाहता ये बहाना मत बनाना. तुम आना तो बेटी बनकर आना. मेरे अंदर जो धक-धक कर रही हो, मुझे पता है... तुम घबरा रही हो. दुनिया को बेटी नहीं चाहिए. दुनिया न बदले तो दुनिया को बदलने के लिए आना. तुम आना तो बेटी बनकर आना. बहुत प्यारी होती जो दुनिया बेटी जैसी होती. बहुत किस्मत वाली होती है जिसकी बेटी होती है. तेरे आने में है मेरा फिर से आना. तुम आना बेटी बनकर आना...


हैरानी तो तब होती है
खैर सच्चाई तो आज भी ये है कि रोजाना भारत में 2000 बच्चियों (विकासपीडिया के मुताबिक) को इस दुनिया में आने से रोक दिया जाता है. आज भी लोगों की चाहत यही है कि बेटा हो. बेटे से ही फैमिली पूरी होती है. हैरानी तो तब होती है जब ऑफिस और पढ़े-लिखे लोगों के बीच में ऐसी बातें सुनने को मिलती है. कहते हैं कि पहला बच्चा तो बेटा ही हो. उन्हीं से परिवार आगे बढ़ता है.नवरात्र में भूखे-प्यासे रहकर हम सब 9 देवियों को पूजते हैं, मगर फिर उन्हीं को कोख में मार देने से इन्हें पाप नहीं लगता? वैसे धर्म, जात-पात के नाम पर देश बांटने वालों की कमी नहीं है. मगर ये कैसे भूल जाते हैं कि कोई भी धर्म और कोई भी किताब ये नहीं सिखाती कि बेटा ही परिवार को आगे बढ़ाता है.


बिजनेसमैन के घर की लक्ष्मी
ऐसे लोग ये भूल जाते हैं कि आनंद महिंद्रा से लेकर मुकेश अंबानी जैसे देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन की फैमिलीज में भी बेटियों से घर रोशन है. आनंद महिंद्रा की खुद दो बेटियां हैं. रिलायंस रिटेल की कमान संभाल रहीं  ईशा अंबानी तो खुद अरबों रुपये का कारोबार देखती हैं. फैमिली बिजनेस को वह 7वें आसमान पर ले गई हैं. नीता अंबानी और मुकेश अंबानी बेटों की तरह बेटी पर खूब गर्व करते हैं. 


बॉलीवुड और बेटियां
बॉलीवुड को ही ले लीजिए... आज के समय में तीनों खान पर भारी पड़ने वाली एक्ट्रेसेज ही तो हैं. प्रियंका चोपड़ा की बात करें तो, इनकी कद्र हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने नहीं समझी तो उन्होंने अपनी जगह हॉलीवुड में बनाई और ऐसे लोगों के मुंह पर तमाचा मारा. कपूर खानदान में कभी औरतों के काम पर मनाही थी लेकिन बबीता ने नियम तोड़ा और दोनों बेटियों करीना-करिश्मा को अपने पैरों पर खड़ा किया. आलिया भट्ट आज इस परिवार की बहू हैं वह भी पति रणबीर कपूर से कंधे से कंधा मिलकर चल रही हैं. दीपिका पादुकोण को देख लीजिए, रणवीर सिंह से जरा कम नहीं है उनकी ब्रांड वेल्यू.


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हर जन्म में मिले ऐसी बेटियां
अंत में बस यही...एक वक्त था जब हीरोइनों के लिए कहा जाता था कि शादी और बच्चे के बाद इनका करियर खत्म हो जाता है. इसलिए पुराने समय में तो एक्ट्रेसेज कई साल तक अपनी शादी छिपाकर रखती थीं. मगर आज के जमाने की एक्ट्रेसेज ने ये भ्रम भी तोड़ा है. उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया और साबित किया कि टेलेंट उम्र, शादी और बच्चे से तय नहीं होता. आलिया भट्ट, दीपिका पादुकोण, बिपाशा बसु से लेकर अनुष्का शर्मा खुद बेटियों की मां हैं. इन एक्ट्रेसेज पर न इनके पैरेंट्स बल्कि करोड़ों लोग गर्व करते हैं. बस ऐसी बेटियां इस जन्म क्या हर जन्म में हों और देश को रोशन करती रहें.


डिस्क्लेमर: लेख व्यक्त विचार लेखक/लेखिका के निजी हैं