बार एसोसिएशन को मिलनी चाहिए फ्री बिजली? याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की ये अहम टिप्पणी
अदालतो में सुनवाई के दौरान अक्सर ऐसे मामले आ जाते हैं, जिन पर गंभीर चर्चा शुरू हो जाती है. ताजा मामला वकीलों की उस मांग का है जो MP हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट की चौखट पहुंचा.
Bar Association, Electricity Charges: अदालतो में सुनवाई के दौरान अक्सर ऐसे मामले आ जाते हैं, जिन पर गंभीर चर्चा शुरू हो जाती है. ताजा मामला वकीलों की उस मांग का है जो MP हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट की चौखट पहुंचा. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोशिएशन का कहना है कि बार एसोसिएशन हाई कोर्ट परिसर के अंदर है और उसका ही हिस्सा है ऐसे में उन्हें बिजली के बिल से राहत दी जानी चाहिए. इसी चर्चा में ये भी कहा गया था कि बार एसोसिएशन पर बिजली शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि न्याय प्रशासन में बार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (SC) की वैकेशन बेंच के सामने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वकील सिद्धार्थ आर गुप्ता ने अपना पक्ष रखते हुए राहत की मांग की. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'किसी को भी बिजली बकाया भुगतान से छूट देने का सवाल ही नहीं उठता है. हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और संसद सभी अपने बिजली बकाया का भुगतान करते हैं. एक बार जब आप बिजली उपभोग करने के लिए जरूरी नियम कायदों के तहत मीटर लगवाकर बिजली इस्तेमाल करने लगते हैं तो आपको उपभोग शुल्क का भुगतान करना ही होगा.'
सर्वोच्च अदालत ने ये भी कहा कि बिजली तब तक मुफ़्त नहीं हो सकती, जब तक सरकार खुद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से शुल्क न लेने का नीतिगत निर्णय नहीं लेती. कोर्ट ने ये भी पूछा कि पॉलिसी मेकिंग से जुड़े इस मामले में सिर्फ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को ही क्यों बाकी जिला अदालतों के निकायों को भी इसका लाभ दिया जाना चाहिए.
94 लाख के भुगतान को लेकर फौरी राहत लेकिन...
हालांकि याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए बार एसोसिएशन से बकाया धनराशि की वसूली पर रोक लगा दी. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, 'अगर वकीलों को बकाया राशि का भुगतान करने से छूट दी गई, तो बिजली वितरण कंपनी इसे अन्य उपभोक्ताओं से वसूलेंगी, जिनका न्याय वितरण प्रणाली से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में उनके सिर पर ये बोझ नहीं लादा जाना चाहिए.'
गौरतलब है कि इस याचिका में यह निर्देश भी मांगा गया था कि मध्य प्रदेश राज्य और विधि विभाग (याचिका में एक पक्ष भी) बार एसोसिएशनों के बिजली बिलों का भुगतान बिजली कंपनियों को करें. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.