पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में CBI ने की 11 आरोपियों की गिरफ्तारी
दो मई को पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद राज्य में जो हिंसा हुई उस मामले में अब CBI ने 11 आरोपियों की गिरफ्तारी की है. गिरफ्तार किए गए 11 आरोपियों में से 4 BJP के कार्यकर्ता हैं और इन पर TMC कार्यकर्ता की हत्या का आरोप है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के मामले में CBI ने 11 आरोपियों की गिरफ्तारी की है. ये गिरफ्तारियां 2 अलग-अलग मामलों में की गई हैं. अरेस्ट किए गए 11 आरोपियों में से 4 भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता हैं और इन पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ता की हत्या का आरोप है. ये दोनों ही मामले कूच बिहार जिले के हैं.
खाने पर बुलाकर की हत्या
पहला मामला पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में तूफानगंज पुलिस थाने का है. दर्ज एफआईआर (FIR) के मुताबिक सहीनुर अहमद और उसका पड़ोसी प्रसनजीत साहा तृणमुल कांग्रेस (TMC) के कार्यकर्ता हैं. 2 मई को चुनावों के नतीजे घोषित होने के 2 दिन बाद यानी 4 मई की रात को 16 नामजद आरोपी बीजेपी कार्यकर्ता राम पाल के घर इकट्ठा हुए. इसके बाद सहीनुर और प्रसनजीत को रात में करीब 9 बजे राम पाल के जरिए उन्हें घर खाने पर बुलाया गया. आरोप है कि खाने के बाद सभी 16 आरोपियों ने दोनों पर (सहीनुर और प्रसनजीत) तेजधार हथियार से हमला कर गंभीर घायल किया और मक्के के खेतों में फेंक दिया. आसपास के लोगों ने किसी तरह से दोनों को अस्पताल में भर्ती करवाया लेकिन अस्पताल में सहीनुर की मौत हो गई जिसके बाद पिता सहाजुद्दीन ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. इसी मामले में कारवाई करते हुए CBI ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि बाकी आरोपियों की जांच की जा रही है.
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नदी के पास पड़ी मिली लाश
दूसरा मामला भी कूच बिहार जिले के दिनहाटा थाने का है. दर्ज मामले के मुताबिक 3 मई को हर्दन राय को अर्जुन मुंडा नाम का आरोपी अपने साथ ले गया था और बाद में उसकी लाश राजाघोड़ा नदी के पास पड़ी मिली. इसी मामले में CBI ने 7 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई जांच
सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में हिंसा एवं अन्य अपराधों के सन्दर्भ में कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश पर अब तक 31 मामलें दर्ज किए हैं. सीबीआई ने साल 2021 की डब्ल्यू पी ए (पी) 142, 143, 144, 145, 146, 147, 148, 149 तथा 167 के सन्दर्भ में कोलकाता हाईकोर्ट के 19 अगस्त 2021 को जारी आदेश के बाद विभिन्न आरोपों पर पश्चिम बंगाल के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में पहले से दर्ज इन सभी मामलों पर जांच शुरू की थी.
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