सीबीआई ने शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर नीट एग्जाम पेपर लीक मामले को लेकर IPC की धारा 420 ( धोखाधड़ी), 406 (अमानत में खयानत) और 120B (आपराधिक साज़िश) के तहत एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई ने ये एक नया केस दर्ज किया है. सीबीआई बिहार पुलिस से उनके केस की जांच रिपोर्ट भी मांगेगी. ताकि अब तक हुई उनकी जांच के आधार पर पूरे मामले को समझा जा सके. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की पूरी जांच चार चरणों के बीच की उस कमी को ढूंढने में है जिसमें एग्जाम के पेपर को बनाने, उसकी प्रिंटिंग, उसको देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजने के ट्रांसपोर्टेशन और एग्जामिनेशन सेंटर में पेपर को बांटने (डिस्ट्रीब्यूशन) की प्रक्रिया के बीच की कमी का फायदा उठाकर पेपर लीक करने वालों का पता लगाना है. 


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सीबीआई सूत्रों के मुताबिक NTA द्वारा बनाई गई इस पूरी प्रक्रिया को बेहद गोपनीय रखने का प्रावधान है. बावजूद इसके किस चरण में खामियां ढूंढकर कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर पेपर लीक करवाया गया इसका पता लगाना सीबीआई की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. 


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जिनकी सीधी भूमिका होती है पेपर को करवाने की...
क्वेश्चन पेपर को तैयार करने वाले, उस पेपर की प्रिंटिंग करवाने वाले, प्रिंटिंग करने वाले, पेपर को देश के अलग अलग राज्यों तक पहुंचाने और एग्जाम होने तक उनको सुरक्षित स्टोर करके रखने वाले वसमेत ऐसे कई लोग है जिनके पास एग्जाम से कुछ घंटों पहले तक पेपर सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है. सीबीआई इसी पूरी चेन के बीच की उस लीकेज का पता लगाने की कोशिश करेगी.


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1000 नंबरों का डाटाबेस
नीट और यूजीसी- नेट पेपर लीक मामले की जांच में जुटी सीबीआई के लिए उसके पास मौजूद 1000 नाम और नंबरों का वो डेटा किसी संजीवनी से कम नहीं है जो सीबीआई ने व्यापम समेत पेपर लीक के दर्जनों केस की जांच करने के दौरान बनाया था. सीबीआई इस 1000 नाम और नंबरों के डेटा की भी मदद ले रही है. ताकि अभी तक की जांच में सामने आए नाम और उनके मोबाइल नंबरों को डेटा बेस में डालकर पेपर लीक करने वाले नेक्सस और मॉड्यूल के बारे में जानकारी जुटाई जा सके. 


CFSL से निकलेगी मोबाइल फोन के अंदर छिपे राज
सीबीआई ने अब तक 8 मोबाइल फोन जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (CFSL) में भेजे हैं ताकि इन मोबाइल फोन के उन तमाम डेटा या डिलीट किए गए डेटा को रिट्रीव किया जा सके जिसके जरिए नीट पेपर लीक मामले में सुराग मिल सके.