मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Param Bir Singh) द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर CBI ने यह कदम उठाया है. इसके अलावा, जांच एजेंसी ने मुंबई में कई जगहों पर छापे भी मारे हैं. इससे पहले, सीबीआई ने देशमुख से करीब 11 घंटे पूछताछ की थी 


शुरुआत में अड़े रहे, बाद में दिया इस्तीफा


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पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि गृह मंत्री रहते हुए अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार, रेस्तरां और होटल आदि से पैसा इकट्ठा करने का आदेश दिया था. इसके बाद CBI ने देशमुख को 14 अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया था. बता दें कि देशमुख शुरुआत से अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते आ रहे हैं. वहीं, राज्य सरकार ने भी उनका बचाव किया था, लेकिन सीबीआई जांच के मद्देनजर देशमुख को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. 


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हर पहलू की जांच कर रही CBI


परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इसके बाद हरकत में आई जांच एजेंसी ने देशमुख के दो निजी सहायकों से पूछताछ की थी. इसके अलावा केंद्रीय एजेंसी ने एनआईए की गिरफ्त में चल रहे मुंबई पुलिस के निलंबित एपीआई सचिन वझे (Sachin Vaze) के दो ड्राइवरों से भी पूछताछ की थी. CBI इस मामले में हर पहलू की बारीकी से जांच कर रही है.


आखिर क्या है पूरा मामला?


मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख  चाहते थे कि पुलिस अधिकारी बार और होटलों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करके उन्हें पहुंचाएं. इसके साथ ही परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पीआईएल फाइल की थी, जिसमें उन्होंने अनिल देशमुख पर लगाए आरोपों के लिए सीबीआई जांच की मांग की थी.