नई दिल्ली: लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घर वापस पहुंचाने की मांग के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाब दाखिल किया. केंद्र सरकार ने दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थान भेजने की जरूरत नहीं है.


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सरकार का कहना है कि इस तरह का पलायन अभी तक संक्रमण से काफी हद तक बचे ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलने का खतरा पैदा करेगा. केंद्र और राज्य सरकारें  NGO के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों की दैनिक जरूरतों और गांवों में उनके घरवालों की सुविधा के लिए इंतजाम कर रही हैं.


इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- क्या इस बारे में कोई प्रस्ताव है? और 1 हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रवासी मजदूरों को वापस घर भेजने की याचिका में उठाई गई मांगों पर विचार करे.


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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राज्यों के बीच लोगों की आवाजाही के मुद्दे पर जांच करने और कार्रवाई करने के लिए कहा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि कोई जानकारी  कैसे सत्यापित की जाएगी जब प्रवासी मजदूरों का वापस लौटना बंद नहीं हुआ है.


इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने प्रवासी मजदूरों को वापस घर जाने की अनुमति दे दी है लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक कहीं भी आने-जाने पर पूरी तरह से रोक है.


इस सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय आने-जाने पर रोक लगाई है.


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केंद्र सरकार द्वारा दिए आंकड़ों के मुताबिक प्रवासी मजदूरों के लिए 37,978 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं, जिनमें 14.3 लाख लोग रह रहे हैं. इसके अलावा अलग से 26,225 फूड कैंप बनाए गए हैं, जो 1.34 करोड़ लोगों को खाना मुहैया करवा रहे हैं.


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