PM Modi Central Vista office: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के एक हिस्से 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' के निर्माण को दिल्ली पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) ने मंजूरी दे दी है. इस एन्क्लेव में प्रधानमंत्री का नया ऑफिस और कैबिनेट सचिवालय बनाया जाएगा. दिल्ली एक्सपर्ट इवैल्यूएशन कमेटी (SEAC) ने पिछले हफ्ते एसईआईएए को प्रोजेक्ट को पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने की सिफारिश की थी. एसईआईएए ने बुधवार को एक बैठक में प्रोजेक्ट पर चर्चा की और इसको मंजूरी दे दी.


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487 पेड़ों को किया जाएगा ट्रांसफर


वन विभाग ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को 23 अगस्त को दिल्ली पेड़ संरक्षण कानून, 1994 के तहत सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट साइट से 807 में से 487 पेड़ों को उखाड़कर कहीं और लगाने की मंजूरी दी थी. बैठक में एसईआईएए ने कहा कि इस परियोजना से निर्माण स्थल पर 60 प्रतिशत पेड़ों को हटाया जाएगा. सीपीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने कहा कि इस प्रस्ताव को दिसंबर में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए भेजा गया था.


प्रोजेक्ट्स को मंजूरी के लिए एसईआईएए के पास भेजे जाने से पहले उनका मूल्यांकन करने वाली एसईएसी ने इस महीने की शुरुआत में पेड़ों को उखाड़कर कहीं और लगाने के लिए दिल्ली सरकार की नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए एक उप-समिति का गठन किया था.


SEAC ने जताई थी चिंता


सरकार ने दिसंबर 2020 में अधिसूचित की गई नीति में कहा था कि संबंधित एजेंसियों को उनके विकास कार्यों के कारण प्रभावित 80 प्रतिशत पेड़ों को किसी और जगह पर लगाना होगा. एसईएसी ने पहली बार 31 जनवरी को एक बैठक में प्रस्ताव पर गौर किया था और उसने कंस्ट्रक्शन साइट पर बड़ी संख्या में पेड़ों के हटाने की सीपीडब्ल्यूडी की योजना पर चिंता जताई थी.


ये है पर्यावरण मंत्रालय का निर्देश


बाद में, सीपीडब्ल्यूडी ने प्रस्ताव को संशोधित किया और प्रतिरोपित किए जाने वाले पेड़ों की संख्या 630 से घटाकर 487 कर दी और कंस्ट्रक्शन साइट पर छोड़े जाने वाले पेड़ों की संख्या 154 से बढ़ाकर 320 कर दी. 9 अप्रैल को हुई बैठक में, एसईएसी ने पर्यावरण मंजूरी के लिए एसईआईएए को संशोधित प्रस्ताव की सिफारिश करने का फैसला किया.


एसईआईएए ने हालांकि, मामले को एसईएसी को वापस भेज दिया. 1,381 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स के संशोधित प्रस्ताव के अनुसार, सीपीडब्ल्यूडी कंस्ट्रक्शन साइट पर 1,022 पेड़ों का रखरखाव करेगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रति 80 वर्ग मीटर भूखंड क्षेत्र में एक पेड़ होना चाहिए.



(इनपुट-पीटीआई)


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