नई दिल्ली: भारत ईरान के बीच जॉइंट कमीशन की बैठक 22 दिसंबर को ईरान की राजधानी तेहरान में संपन्न हुई. इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए जबकि ईरान की तरफ से डॉक्टर मोहम्मद जवाद जरीफ शामिल थे. बैठक में दोनों विदेश मंत्रियों ने आपसी संबंधों को बेहतर बनाने के लिए जो कदम अभी तक उठाए गए हैं उन पर चर्चा की और आगे के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं उसको लेकर भी रूपरेखा तय की.


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चाबहार पोर्ट के प्रोग्रेस को लेकर दोनों ही देशों ने संतुष्टि जताई. दोनों ही देशों ने इस बात को रेखांकित किया है कि चाबहार पोर्ट भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान अफगानिस्तान सेंट्रल एशिया और यूरोप के बीच एक गेटवे के रूप में काम कर सकता है. ईरान ने चाबहार पोर्ट को भारत अफगानिस्तान के बीच आपसी व्यापार में उपयोग करने के लिए और इसको आगे बढ़ाने के लिए हर तरह की मदद का भरोसा दिलाया.


इस बैठक की बड़ी बात यह रही कि दोनों ही देशों ने आतंक के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए ठोस कार्यवाही किए जाने पर सहमति जताई. ईरान ने माना कि आतंक के गढ़ को खत्म किए जाने की जरूरत है जो लोग भी इसको पालते पोसते हैं उनको इस पर कार्रवाई करने की जरूरत है दोनों ही देशों ने माना कि शांति सुरक्षा और स्थायित्व के लिए आतंक का खात्मा जरूरी है.


आपसी चर्चा में मुख्य मुद्दे खासतौर से दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना, व्यापार संबंधों को मजबूत करना, सांस्कृतिक संबंध और और पीपुल टू पीपुल कांटेक्ट को बढ़ावा देना जैसे मुद्दे थे.


बैठक में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर भी चर्चा हुई. साथ ही तय हुआ कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे के हित का दोनो ही देश ध्यान रखेंगे. दोनों ही देश इस बात पर सहमत थे कि आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए और रिश्ते को मजबूत करने के लिए दोनों ही देश जल्द ही ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप की अगली बैठक करेंगे.


अगले साल 2020 में दोनों देश अपने मैत्री संबंधों के 70 साल पूरे होने पर यूथ एक्सचेंज को बढ़ाएंगे दोनों ही देश कल्चरल प्रोग्राम आयोजित करेंगे और भारत और ईरान के  पार्लियामेंट्रियन के बीच आपस संवाद प्रोग्राम भी चलाएंगे ताकि भारत और ईरान एक दूसरे को और बेहतर तरीके से समझ सके और दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ हो सके.


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