Political Kisse: संसद में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी बैठे थे. वाजपेयी तब देश के प्रधानमंत्री थे और चंद्रशेखर बोलने के लिए खड़े हुए. सदन में कटाक्ष, आरोप और कुरीतियों के बखान पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि इसमें भविष्य की चिंता कम दिखाई पड़ती है. मैं नहीं जानता कि कोई भी राष्ट्र जो केवल अतीत पर रोता रहेगा, वो नया भविष्य कैसे बना सकेगा. मैं सदन के सामने विनम्र शब्दों में कहना चाहता हूं कि सदन में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. दुनिया के कई देशों में ऐसी स्थिति पैदा हुई है लेकिन उन लोगों ने देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने विरोधों को भुलाकर सहयोग के रास्ते पर काम किया और उन्हें सफलता भी मिली. 


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चंद्रशेखर ने कहा कि जज्बातों को उभारकर वोट पाए जा सकते हैं. सरकार बनाई जा सकती है लेकिन देश की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता... वो घाव अब भी हरे हैं. उन हरे घावों पर नमक डालने से देश में कोई अच्छी बात नहीं बनेगी. मैं तो हमारे वाणिज्य मंत्री की सलाह पर ही चलना चाहूंगा. उन्होंने कहा कि सरकार अभी 7-8-10 दिन पहले बनी है. सरकार को कोई कदम उठाने का मौका नहीं मिलेगा. उस पर अभी चर्चा होती तो मैं समझता कि कोई सार्थक चर्चा हो रही है. 


संघ निष्ठावान युवकों का संगठन


पूर्व पीएम ने आगे कहा कि भाजपा संघ परिवार का सदस्य है. और भाजपा जानती है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हमारा जितना भी विरोध हो वह संगठित, निष्ठावान और संकल्प वाले नवयुवकों का संगठन है. बरसों पहले जब उन्होंने कहा कि स्वदेशी आंदोलन चलाएंगे तो मैंने कहा कि मैं उनका साथ दूंगा. हमारे मित्र मुरली मनोहर जोशी आज स्वदेशी की परिभाषा दे रहे थे तो मैं सोच रहा था कि कितना बदल जाता है इंसान, सरकार में आने से पहले और सरकार में आने के बाद. मैं कहना चाहूंगा कि भाजपा बदलेगी तो नहीं. और बदलनी भी नहीं चाहिए. आपसे आशा भी नहीं है. 


चंद्रशेखर ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी (अटल बिहारी वाजपेयी) से जरूर पूछना चाहता हूं कि वह देश को किस रास्ते पर ले जाना चाहते हैं. क्या आप समझते हैं कि विरोधी पार्टियां आपके बहुमत पाने से आपके पीछे लग जाएंगी. आपका विरोध करना छोड़ देंगी... प्रधानमंत्री जी आप विदेश मंत्री रहे हैं. क्या आप चीन के बारे में नीतियां बदलने वाले हैं. क्या तिब्बत पर भारत का दृष्टिकोण बदला है?... ये सरकार सिर्फ कुर्सी पर बैठी रहना चाहती है. 


मैं नहीं मानता कि आडवाणी जी...


उन्होंने आगे कहा कि मैं उन लोगों में से हूं जिसने बार-बार कहा है कि जब तक कोई भ्रष्ट न्यायालय से साबित न हो जाए, उसे भ्रष्ट कहकर उसकी मर्यादा को मत गिराओ. मुझे आज भी यह कहने में गौरव है, जब आडवाणी जी पर लगा था आरोप तो मैंने कहा कि मैं नहीं मानता कि आडवाणी जी ऐसा कोई काम करेंगे. इसके लिए मेरी आलोचना हुई. लालू प्रसाद यादव के लिए मैंने कहा. मैंने माधवराव सिंधिया के लिए कहा. मैंने सुखराम के लिए कहा. उस समय मेरी बड़ी आलोचना हुई. 


इसके बाद चंद्रशेखर ने एक बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा कि किसी के चरित्र को गिरा देना आसान है. किसी के व्यक्तित्व को तोड़ देना आसान है. आडवाणी के व्यक्तित्व को तोड़ सकते हो. लालू को मिटा सकते हो. मुलायम सिंह को गिरा सकते हो. एक कल्पनाथ राय को हटा सकते हो जनता की नजर से लेकिन हममें वो सामर्थ्य नहीं कि दूसरा आडवाणी या लालू प्रसाद या मुलायम या कल्पनाथ बना दें.  


तब मोदी खुद मिलने गए थे


कुछ साल पहले पीएम मोदी ने कहा था कि जिस समय कांग्रेस पार्टी का सितारा चमकता हो, चारों तरफ जय-जयकार चलता हो, वो कौन सा तत्व होगा उस इंसान के भीतर जिसने बगावत का रास्ता चुन लिया. शायद बागी बलिया के संस्कार होंगे. उस समय ये था कि चंद्रशेखर जी पीएम बनेंगे या मोरार जी भाई बनेंगे. चंद्रशेखर जी के कुछ साथियों के साथ मेरा संपर्क रहा. उसमें मोहन धारिया एक थे, जॉर्ज फर्नांडीस के साथ रहा. उनकी बातों में चंद्रशेखर जी के आचार-विचार प्रतिबिंबित होते थे. चंद्रशेखर जी बीमार थे और मृत्यु के कुछ महीने पहले उनका टेलीफोन आया. मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था. उन्होंने कहा कि भाई दिल्ली कब आ रहे हो. मैंने कहा- बताइए साहब क्या है. उन्होंने कहा कि नहीं, अगर आते हो तो एक बार घर पर आ जाइए. बैठेंगे. मेरा स्वास्थ्य ठीक होता तो मैं खुद चला आता. 


पीएम ने उस पल को याद करते हुए कहा कि मैंने कहा था कि ये बड़ी बात है आपने मुझे याद किया है. मैं उनके घर गया. और मैं हैरान था. स्वास्थ्य ठीक नहीं था. काफी देर तक बातें की. गुजरात के विषय में जानने का प्रयास किया. सरकार के बारे में जानने का प्रयास किया. बाद में देश के संबंध में बातें की. कहा कि तुम लोग नौजवान हो, देखो कैसे होगा. 


पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बारे में जानिए


चंद्रशेखर का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में इब्राहिमपत्ती गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. वह जनवरी 1965 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. चंद्रशेखर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के उन सदस्यों में से थे जिन्हें आपातकाल के दौरान गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. वह 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक देश के प्रधानमंत्री रहे.