Garba Entry Varaha Pooja: गरबा पंडालों में बीते सालों दूसरे समुदाय के युवकों की हुड़दंगी के बाद इस साल गरबा आयोजकों को पहले गोमूत्र के छिड़काव का आइडिया दिया गया. इसके बाद कहा गया की गरबा पंडाल में एंट्री उसी को मिले जो गोमूत्र पीएगा.
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Garba Entry Varaha Pooja: गरबा पंडालों में बीते सालों दूसरे समुदाय के युवकों की हुड़दंगी के बाद इस साल गरबा आयोजकों को पहले गोमूत्र के छिड़काव का आइडिया दिया गया. इसके बाद कहा गया की गरबा पंडाल में एंट्री उसी को मिले जो गोमूत्र पीएगा. लेकिन अब एक और नया आइडिया सामने आया है. गरबा पंडालों में सिर्फ वराह पूजने वालों को ही एंट्री मिलेगी. कुल मिलाकर मकसद एक है.. किसी भी तरह से नवरात्रों की पूजा शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हो जाए. लेकिन सिर्फ आइडिया देने भर से कुछ लोगों को मिर्ची लग गई है.
गोमूत्र छिड़काव के बाद वराह पूजन को अनिवार्य करने का निर्णय
नवरात्रों की शुरुआत के साथ, गरबा पंडालों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए उपायों पर विचार किया जा रहा है. इस बार गरबा आयोजकों ने पिछले सालों की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, गोमूत्र छिड़काव के बाद वराह पूजन को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है. पंडाल में प्रवेश केवल उन लोगों को मिलेगा जो वराह पूजन करेंगे.
वराह अवतार की पूजा का नया आइडिया
वराह अवतार की पूजा का यह नया आइडिया गैर हिंदू, खासकर मुसलमानों की पंडाल में एंट्री को रोकने के लिए सुझाया गया है. बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा के अनुसार, वराह अवतार की पूजा से गैर हिंदू तौबा करते हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि पंडाल में कौन प्रवेश कर सकता है. गैर हिंदू युवकों के नाम से जुड़ी घटनाओं के कारण, पिछले कुछ वर्षों में गरबा पंडालों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. हालांकि, मुस्लिम युवकों का कहना है कि वे इस पूजा में भाग नहीं लेंगे.
गिरिराज सिंह ने फिर से मोर्चा खोल दिया
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी इस विषय पर अपनी राय दी है. लव जिहाद के मुद्दे पर गिरिराज सिंह ने फिर से मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने बरेली कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए इसे हिंदुस्तान को गजवा ए हिंद बनाने की साजिश बताया. इसके साथ ही उन्होंने दुर्गा पूजा में छुट्टियों के विस्तार की अपील की है और गरबा पंडाल में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर भी सवाल उठाया है.
पिछले सालों में हिंदू त्योहारों के दौरान पथराव की घटनाएं
पिछले सालों में हिंदू त्योहारों के दौरान पथराव की घटनाएं भी चिंता का कारण बनी हैं, जिससे आयोजकों को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को बदलने पर मजबूर होना पड़ा. सवाल यह है कि क्या यह उपाय वास्तव में सुरक्षा सुनिश्चित करेगा या केवल एक विवाद का कारण बनेगा. इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है, और यह देखना होगा कि आयोजक इसे कितनी प्रभावी ढंग से लागू कर पाते हैं.