Chennai News: चेन्नई में सेहत से खिलवाड़ करने वाला मामला सामने आया है. फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर को सील कर दिया है. मामला राज्य के माधवरम के केकेआर गार्डन फर्स्ट क्रॉस स्ट्रीट का है. मेडिकल स्टोर पर गैरकानूनी तरीके से पाश्चराइज्ड ब्रेस्ट मिल्क बेचा जा रहा था.


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40 बोतलें सीज


गुरुवार को एक सरप्राइज इंस्पेक्शन के दौरान फूड सेफ्टी अधिकारियों ने  पाश्चराइज्ड ब्रेस्ट मिल्क की 40 बोतलों को सीज कर दिया. बोतलों के सैंपल्स को टेस्टिंग के लिए भेजा गया है. 50 मिलीलीटर की एक बोतल को 50 रुपये में बेचा जा रहा था. बता दें कि भारत में कमर्शियल ब्रेस्ट मिल्क बेचना बैन है. 24 मई को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि ब्रेस्ट मिल्क बेचना और प्रोसेस करना एफएसएस एक्ट 2006 का उल्लंघन है. 


सरप्राइज इंस्पेक्शन में खुली पोल


एक फूड सेफ्टी अधिकारी ने कहा, 'मुथैया और उसकी पत्नी सत्या यह गैरकानूनी बिजनेस चला रहे थे. हमें सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी से 10 दिन पहले इस मामले में शिकायत मिली थी. हमने स्टोर में तालाशी ली लेकिन कुछ नहीं मिला. लेकिन शुक्रवार को जब सरप्राइज इंस्पेक्शन किया तो हमें स्टोर के फ्रीजर से पाश्चराइज्ड ब्रेस्ट मिल्क बरामद हुआ.'


उन्होंने कहा, कई बोतलों को पिछले दो-तीन महीनों से स्टोर करके रखा गया था. एक अधिकारी ने बताया, 'अब इस बात की जांच की जाएगी कि दूध कितना सेफ है. अगर तापमान बहुत ज्यादा है तो फर्मेंटेशन हो सकता है. अगर यह असुरक्षित हुआ तो हम उन लोगों को ढूंढकर अलर्ट करेंगे, जिन्होंने इसे खरीदा है.'


अधिकारी ने कहा, बोतलों पर दूध उपलब्ध कराने वाली महिलाओं के नाम और ब्योर, कलेक्शन डेट और समय जैसी चीजें भी लिखी थीं. बोस ने कहा, 'मालिकों के पास बिक्री का डेटा भी है, लेकिन खरीदारी करने वाले लोगों का ब्योरा उपलब्ध नहीं है.' माधवरम पुलिस थाने में स्टोर के मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच के बाद एफएसएस एक्ट के तहत फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट उनके खिलाफ एक्शन लेगा. 


कैसे बनता है ब्रेस्ट मिल्क?


जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसके स्तनों में तेजी से बदलाव आना शुरू हो जाता है. उसका शरीर उसे स्तनपान के लिए तैयार करने लगता है. इसी वजह से महिलाओं को गर्भावस्था में अपने स्तन भारी महसूस होते हैं. जब बच्चा पैदा होता है तो स्तनपान के दौरान ही महिला के शरीर में हार्मोंस रिलीज होते हैं, जिससे ब्रेस्ट मिल्क बनता और रिलीज होता है. 


बैन है तो कैसे बिक रहा ब्रेस्ट मिल्क


हाल ही में FSSAI ने ब्रेस्ट मिल्क को बेचने पर रोक लगा दी थी. एफएसएसएआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि सेंट्रल और राज्यों के लाइसेंसिंग ऑफिसर्स यह सुनिश्चित करें कि वे ना तो ह्यूमन मिल्क की ब्रिकी और प्रोसेसिंग में शामिल फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को ना तो लाइसेंस दें और ना ही उसको रजिस्टर्ड करें.


दरअसल कुछ वक्त पहले ब्रिटेन की न्योलैक्टा लाइफ साइंसेंज नाम की कंपनी की इंडियन ब्रांच का लाइसेंस आयुष मंत्रालय ने रद्द कर दिया था. ये कंपनी आयुर्वेद का हवाला देकर इंसानी दूध से बने प्रोडक्ट को बेच रही थी. इस कंपनी के प्रोडक्ट का नाम हैपीनेस था. कंपनी ह्यूमन मिल्क को फ्रिज में रखकर उसको सुखाती थी और बाद में उसे रेडी टू यूज पाउडर में तब्दील कर दिया जाता था. इस दूध को कंपनी ऊंची कीमतों पर बेचती थी. कंपनी को लाइसेंस आयुष मंत्रालय ने दिया था. इसके तहत वह आयुर्वेद दवाओं की कैटेगरी में अपना प्रोडक्ट बेच सकती थी.


कानून आने की दरकार


ह्यूमन मिल्क को बेचने या प्रोसेसिंग करने की परमिशन नहीं है. लेकिन बावजूद इसके कंपनियां FSSAI से यह कहकर लाइसेंस हासिल कर रही हैं कि ये डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए नहीं हैं. एक बार जब इन कंपनियों को लाइसेंस मिल जाता है तो लोग इनका उत्पाद खरीदते हैं और उसे शिशुओं को दिया जाता है. कई बार इसे लेकर कानून की मांग की जाती है.