Maratha Reservation: मराठा आरक्षण पर जरांगे की चल रही थी जंग, खिलाफ में खड़े हो गए छगन भुजबल
Chhagan Bhujbal Resignation: एक तरफ जहां मनोज जरांगे के नेतृत्व वाले मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सरकार बैकफुट पर है वहीं दूसरी तरफ कद्दावर ओबीसी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने इस्तीफा देकर सरकार के सामने नई मुश्किल पैदा कर दी है.
Chhagan Bhujbal Vs Manoj Jarange: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर सरकार के भीतर की रार खुलकर सतह पर आ गई है. एक तरफ जहां मनोज जरांगे के नेतृत्व वाले मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सरकार बैकफुट पर है वहीं दूसरी तरफ कद्दावर ओबीसी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने इस्तीफा देकर सरकार के सामने नई मुश्किल पैदा कर दी है. एनसीपी नेता भुजबल का मानना है कि ओबीसी कोटे का हिस्सा काटकर ही मराठा आरक्षण देने की बात हो रही है जोकि उनको मंजूर नहीं है.
16 नवंबर को छगन भुजबल ने दिया इस्तीफा
अपने इस्तीफे को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता छगन भुजबल ने रविवार को कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंप दिया है, क्योंकि वह विभागों के आवंटन के लिए जिम्मेदार हैं.
भुजबल ने नासिक में संवाददाताओं से कहा, 'एक मुख्यमंत्री ही राज्य में मंत्रिस्तरीय विभागों का आवंटन करता है और मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में सूचित करता है. यह हमेशा मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वह किसे अपने मंत्रिमंडल में शामिल करे और तदनुसार, राज्य के राज्यपाल को इस बारे में सूचित किया जाता है.'
वहीं, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को एक रैली में भुजबल द्वारा की गई घोषणा पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है कि उन्होंने 16 नवंबर को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वरिष्ठ नेता और राज्य कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. फडणवीस ने शनिवार देर रात संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे.
मराठा आरक्षण बनाम ओबीसी कोटा
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने शनिवार को खुलासा किया कि उन्होंने पिछले साल 16 नवंबर को राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपनी ही सरकार पर मराठा समुदाय को ओबीसी कोटा में 'पिछले दरवाजे से' आरक्षण देने का आरोप लगाया है.
भुजबल ने कहा कि वह दो महीने से अधिक समय तक चुप रहे, क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें इस बारे में नहीं बोलने के लिए कहा था.
फडणवीस ने पत्रकारों से कहा, 'मुख्यमंत्री इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे, लेकिन मैं अभी केवल इतना ही कह सकता हूं कि भुजबल का इस्तीफा मैंने या मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किया है.'
संजय राउत ने बताया 'मैच फिक्सिंग'
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता एवं सांसद संजय राउत ने भुजबल के इस खुलासे को 'बेकार की बात' करार दिया कि उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा पिछले साल नवंबर में दे दिया था.
राउत ने कहा, 'ऐसा बताया जा रहा है कि (कार्यकर्ता) मनोज जरांगे के नेतृत्व वाले मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर भुजबल के गुस्से के पीछे (उपमुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस का हाथ है. दोनों मिले हुए हैं. मैं इस्तीफा दे दूंगा, लेकिन आप इसे स्वीकार नहीं करेंगे या आप इस्तीफा दे देंगे, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.'
राज्यसभा सदस्य ने पूछा कि भुजबल का इस्तीफा स्वीकार करने का अधिकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है या उपमुख्यमंत्री फडणवीस के पास.
उन्होंने कहा, 'हमारा विचार है कि सभी समुदायों को उनके अधिकार मिलने चाहिए, लेकिन दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण करने की कीमत पर नहीं.' उन्होंने कहा कि भुजबल का भी यही कहना है.
जरांगे ने रविवार को कहा कि भुजबल मराठा आरक्षण के बारे में अपने बयानों से उपमुख्यमंत्री अजित पवार और फडणवीस को 'नुकसान' पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
जरांगे ने जालना के अंतरवाली सरती गांव में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान भुजबल के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए फर्जी रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है.
भुजबल ने शनिवार को दोहराया कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा ओबीसी कोटा साझा करने के खिलाफ हैं. वह अजित पवार-नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्य हैं. वरिष्ठ ओबीसी नेता ने कहा, 'बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है. मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है. मैं अंत तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा.'
(इनपुट: एजेंसी के साथ)