नई  दिल्ली: देशभर में कोरोना का नेगेटिव प्रभाव अगर किसी पर पड़ रहा है तो वे बच्चे हैं, अक्सर बचपन खेल कूद और मौज मस्ती से भरा होता है, लेकिन पिछले 2 साल के दौरान बच्चों में काफी ज्यादा मानसिक दबाव देखने मिल रहा है. हंसने रोने वाले बच्चे अब चीख-चिल्ला रहे हैं. कोरोना के नए वेरिएंट ओमक्रॉन का खतरा बच्चों को सता रहा है.  कोरोना  का सबसे अधिक प्रभाव अगर किसी पर देखने मिला है तो वह हैं छोटे बच्चे हैं.  दरअसल, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पहले स्कूल में होती थी, लेकिन कोरोना के चलते अब सब कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है. ऐसे में बच्चे मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं.


घर में रहते चिड़चिड़े हो रहे बच्चे


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मुंबई में रहने वाले शर्मा परिवार को भी कोरोना काल में मानसिक दवाब का सामना कर पड़ है .आजेश शर्मा नाम के पिता ने बताया कि कोरोना का असर इनके परिवार के साथ 11 साल के बेटे पर भी पड़ा है. कोरोना से पहले जहां बच्चा स्कूल और दोस्तों के साथ मस्ती पढाई करते हुए खुश रहता था अब वही घर में कैद रहते हुए गुस्से से भरा और चिड़-चिड़ा हो गया है. डॉ सागर मुंदड़ा ने बताया कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े असर को मनोचिकित्सक भी एक परेशानी के रूप में देखते हैं. मुंबई के  सायकोलोजिस्ट सागर मुंदड़ा बताते हैं कि कोरोना का प्रभाव छोटे बच्चों पर काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है. बच्चों में कई चीजों को लेकर तनाव देखने मिल रहा है जिसके कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर देखा जा रहा है.


बच्चों को बिजी रखने के लिए अभिभावकों को देना होगा ध्यान


ऐसे में माता-पिता के लिए बच्चों को व्यस्त करने में समर्थ होना चाहिए, जिसके लिए उन्हें स्वयं सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है। माता-पिता को खुद को शांत रखने के तरीके खोजने की जरूरत है. उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने की जरूरत है ताकि वे बच्चों के लिए उचित समय निकाल सकें, जो लोग तनाव का सामना करने में असमर्थ हैं, उन्हें परिवार, दोस्तों या पेशेवरों से सहायता लेनी चाहिए.


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