नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अपने हितों को साधने के लिए चान ने एक बार फिर चालाकी दिखानी शुरू कर दी है. अमरीकी पैसिफिक फ्लीट कमांडर एडमिरल जॉन एक्यूलिनो भारत में हैं और उन्होंने साफ साफ कहा कि विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता बढ़ती ही जा रही है. दक्षिण चीन सागर क्षेत्र वैश्विक कारोबार का अहम रूट है और चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती दादागीरी के कारण कई देशों पर रणनीतिक असर पड़ेगा. 


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चीन की दोहरी चाल और चरित्र किसी से छिपी नहीं है. इसे आसान भाषा में समझने के लिए, आपको इस पूरे विवाद की जड़ के बारे में पता होना चाहिए. दक्षिण चीन सागर (South China Sea‌) में वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों को चीन की नौसेना धमकाती है और उनके समुद्री इलाकों पर जबरन दावा करती है और चीन का इन सभी देशों के साथ विवाद चल रहा है. वजह ये है कि दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस के बड़े भंडार दबे हुए हैं.


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ड्रैगन को जवाब देना अब ज़रूरी 
दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना दबदबा क़ायम करना चाहता है क्योंकि यहां भारी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं. यहां मानव निर्मित द्वीपों और बड़े पैमाने पर मिलिट्री ठिकानों को विकसित करके चीन भारत सहित अमेरिका जैसे देशों को आंख दिखाने की कोशिश कर रहा है. लिहाज़ा अब वक्त आ चुका है कि चीन को साउथ चाइना सी में माकूल जवाब दिया जाना चाहिए. भारत और अमेरिका स्वाभाविक दोस्त हैं. भारत-अमेरिका की ज़रूरतें एक जैसी हैं. अमेरिका और भारत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून का पालन होना चाहिए और साउथ चाइना सी में  भी ऐसा ही होना चाहिए. 


(दिल्ली से वरुण भसीन के साथ ब्यूरो रिपोर्ट, ज़ी मीडिया)