नई दिल्ली: आपने इतिहास की किताबों में कुतुब मीनार और चार मीनार का नाम तो खूब पढ़ा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में विदेशी आक्रमणकारियों ने एक 'चोर मीनार' (Chor Minar) का भी निर्माण करवाया था. पुराने जमाने में जैसे ही लोग इस 'मीनार' के बारे में सुनते थे, वे खौफ से कांप उठते थे. 


अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाई थी मीनार


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यह 'चोर मीनार' (Chor Minar) निर्दयी और क्रूर शासक रहे अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) के शासन काल (1296 ई से 1316 ई तक) में बनवाई गई थी. दिल्ली (Delhi) के हौज खास इलाके में बनी ये 'चोर मीनार' इतिहास की किताबों से गायब ही रही है और इसका कहीं विशेष वर्णन नहीं मिलता. विद्वानों का कहना है कि जानबूझकर इतिहास की किताबों में इस तथ्य को दबाया गया. जिससे विदेशी आक्रमणकारियों की छवि खराब होने से बचाई जा सके. 


लोगों के सिर काटकर टांगे जाते थे


जानकारी के मुताबिक इस 'चोर मीनार' (Chor Minar) में 225 छेद थे. अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) के खिलाफ आवाज उठाने वाले विद्रोही और कथित चोर-डकैतों को मारकर उनके सिरों को इस मीनार के छेदों से टांगा जाता था. ऐसा करके उस वक्त दिल्ली समेत देश की जनता को कड़ा संदेश दिया जाता था कि जो भी खिलजी के खिलाफ बगावत करेगा, उसका ऐसा ही हाल किया जाएगा. उस वक्त जब लोग इस मीनार के पास से गुजरते थे तो मृतकों के टंगे सिर देखकर उनकी रूहें कांप जाती थी. 


कई मंगोल सैनिकों की हत्या की


कहते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने वर्ष 1305 में अमरोहा के सिरी किले में हुए युद्ध के बाद 8000 मंगोल सैनिकों को बंदी बना लिया था. इनमें से कई सैनिकों को 'चोर मीनार' पर लाकर उनकी हत्या की गई और बाद में उनके सिरों को मीनार के छेदों पर टांग दिया गया. बाकी बचे बंदी मंगोल सैनिकों की दूसरी जगहों पर हत्या कर दी गई. 


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कौन था अलाउद्दीन खिलजी?


अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का चाचा जलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के तख्त पर आसीन था. अलाउद्दीन खिलजी ने जलालुद्दीन खिलजी को मारकर उससे तख्त छीन लिया और अमीर-ए-तुजुक बन गया. खिलजी ने बेरहमी से देश पर शासन किया और अपने खिलाफ विद्रोह करने वाले भारतीयों की आवाज को सख्ती से कुचल दिया. भारतीयों में खौफ का एहसास भरने के लिए उसने दिल्ली (Delhi) में इस मीनार (Chor Minar) का निर्माण करवाया था. जो बाद में दहशत का पर्याय बन गया. हालांकि आज की तारीख में यह मीनार खंडहर की हालत में है और इतिहास लिखने वाले विद्वान भी इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करते.


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