Article 370: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से केंद्र के इस फैसले की खिलाफत जारी है. अनुच्छेद-370 के निरस्त किए जाने के बाद से सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं लंबित हैं. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग चार साल बाद अब भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ केंद्र सरकार को चुनौती देने वाली 20-विषम याचिकाओं की सुनवाई करेगी.


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बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं. मामले को 11 जुलाई को निर्देशों के लिए सूचीबद्ध किया गया है. अदालत इस मुद्दे पर भी विचार करेगी कि क्या नौकरशाह शाह फैसल की याचिका वापस ली जा सकती है.


संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. जिसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया गया था. पूर्ववर्ती राज्य को बाद में दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया.


जब मामले आखिरी बार मार्च 2020 में सूचीबद्ध किए गए थे, तो कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा संदर्भ की मांग के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिकाओं के बैच को सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को नहीं भेजने का फैसला किया था. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले, प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य और संपत प्रकाश बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य.. विरोधाभासी थे.


उस वक्त मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की पीठ ने यह कहते हुए मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया कि दोनों फैसलों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है. इस साल फरवरी में सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भी याचिकाओं का उल्लेख किया गया था. सीजेआई ने तब कहा था कि वह इसे सूचीबद्ध करने पर "निर्णय लेंगे".


(एजेंसी इनपुट के साथ)