नई दिल्ली : महाराष्ट्र में कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में शुक्रवार (27 अप्रैल) को सुनवाई करते हुए सीबीआई स्पेशल कोर्ट (दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट) ने गोंडवाना इस्पात लिमिटेड और इसके निदेशक अशोक दगा को दोषी करार दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अशोक दागा ने आवंटन के लिए गलत तथ्यों को पेश किया था. अभी इस मामले पर सुनवाई जारी है, कयास लगाए जा रहे हैं कि अशोक दागा को कोर्ट आज ही सजा सुना सकती है. 


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कोयला घोटाला मामलों की सुनवाई करने के लिए विशेष रूप से नियुक्त सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भारत पराशर ने कंपनी के निदेशक अशोक डागा को हिरासत में लेने का आदेश दिया. इससे पहले महाराष्ट्र में कंपनी को आवंटित किये गए माजरा कोयला ब्लॉक के लिए गलत तथ्य पेश करने के लिए इसे और इसके निदेशक को समन जारी किया गया था. डागा और कंपनी को भादंसं की धारा 120- बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी पाया गया और भादंसं की धारा 420 के तहत मूल अपराध का भी दोषी पाया गया.


 


झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री को 3 साल कारावास
उल्लेखनीय है कि इससे पहले कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में अनियमितता के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को अदालत ने तीन साल कारावास की सजा सुनाई था. विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने कोड़ा के करीबी सहयोगी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता, झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के.बसु को भी 3-3 साल कारावास की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 


 



 


पूर्व PM के समक्ष रखे गए गलत तथ्य
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने गलत तथ्य रखे गए. कोर्ट ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास यह मानने की कोई वजह नहीं थी कि तत्कालीन कोयला सचिव एच सी गुप्ता ने उनके समक्ष एक ऐसी कंपनी को मध्य प्रदेश में कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश की थी जो उस समय आवंटन के नियमों को पूरा नहीं करती थी. 


कोयला मंत्रालय के 2 मंत्रियों को भी सजा
इस मामले में कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव एच.सी.गुप्ता और अन्य पूर्व अधिकारियों को कोयला घोटाला मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई थी. दोषियों को कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड (केएसएसपीएल) से संबंधित मामले में यह सजा सुनाई गई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश भरत पारासर ने मध्य प्रदेश के थेसोगोरा बी/रूद्रपुरी कोयला ब्लॉक को गैर कानूनी तरीके से कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड को आवंटित करने के लिए यह सजा सुनाई थी.