नई दिल्ली : कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश पार्टी के व्हिप जारी करने के अधिकार के खिलाफ है. साथ ही यह भी कहा गया है कि कोर्ट के आदेश से संविधान की 10वीं अनुसूची में दिए गए दल-बदल कानून का उल्लंघन होता है.


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ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 15 बागी विधायकों को विधानसभा में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.


ज्ञात हो कि कर्नाटक में इन दिनों सियासी संकट जारी है. कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाने के लिए मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा. गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में विश्‍वास मत पेश किया गया. दिनभर इस पर बहस हुई. इस दौरान करीब 19 विधायक सदन की कार्यवाही से नदारद रहे.


रात भर कर्नाटक बीजेपी के अध्‍यक्ष बीएस येदियुरप्‍पा ने पार्टी विधायकों के साथ विधानसभा में फ्लोर टेस्‍ट की मांग को लेकर धरना दिया. शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा में विश्‍वास मत को लेकर बहस जारी है. राज्‍यपाल वजुभाई वाला ने मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी को बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक का समय दिया था, लेकिन उनकी दी हुई समयसीमा में फ्लोर टेस्‍ट नहीं हुआ.


स्‍पीकर का कहना है कि राज्‍यपाल के आदेश पर मुख्‍यमंत्री फैसला करें कि उसका पालन करना है या नहीं. कर्नाटक विधानसभा के स्‍पीकर केआर रमेश कुमार ने यह भी कहा कि जब तक विश्‍वास मत पर बहस पूरी नहीं होती तब तक वोटिंग नहीं हो सकती.