भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर कांग्रेस का `जमीन वापसी आंदोलन`
एनडीए सरकार की ओर से लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक को वापस लिए जाने की मांग के बीच कांग्रेस ने बुधवार को जंतर मंतर पर `जमीन वापसी आंदोलन` शुरू किया। इस एक दिवसीय धरने में कांग्रेस किसानों के हित को लेकर संसद से सड़क तक सरकार का घेराव करने की तैयारी में है। हालांकि इस धरने में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं हैं।
नई दिल्ली : एनडीए सरकार की ओर से लाए गए भूमि अधिग्रहण विधेयक को वापस लिए जाने की मांग के बीच कांग्रेस ने बुधवार को जंतर मंतर पर 'जमीन वापसी आंदोलन' शुरू किया। इस एक दिवसीय धरने में कांग्रेस किसानों के हित को लेकर संसद से सड़क तक सरकार का घेराव करने की तैयारी में है। हालांकि इस धरने में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं हैं।
कांग्रेस ने इसे जमीन वापसी आंदोलन नाम दिया है। खास बात ये है कि धरना-प्रदर्शन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बिना हो रहा है जिन्होंने यूपीए शासन के दौरान जमीन अधिग्रहनूण कानून का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। एनडीए सरकार ने इसी बिल के कुछ मसौदों में बदलाव कर दिया है जिस पर संग्राम छिड़ा हुआ है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी की तरफ से लाया गया भूमि अधिग्रहण अधयादेश किसान विरोधी है।
इस बिल के खिलाफ अन्ना के आंदोलन के बाद कांग्रेस अब जंतर मंतर पर किसान हित से जुड़े मुद्दों को उठा रही है। कांग्रेस की योजना जहां एक ओर मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करना है, वहीं दूसरी ओर देशभर के किसानों के बीच अपनी पैठ बनाना भी है। कांग्रेस की रणनीति भूमि अधिग्रहण मुद्दे के जरिए किसानों के हितों को उठाने के साथ-साथ अपनी खोई हुई राजनैतिक जमीन को वापस पाना भी है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस की ओर इस मुहिम को जमीन वापसी आंदोलन नाम दिया गया है।
इस विरोध रैली में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। गौर हो कि कांग्रेस ने बुधवार को ऐलान किया कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर उसका विरोध जारी रहेगा और इस पर कतई कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कांग्रेस ने साथ ही कहा कि इस संबंध में संप्रग सरकार के शासनकाल में लाए गए अधिनियम को बहाल करने और नए अध्यादेश के प्रावधानों को वापस लिए जाने के लिए वह ‘और मेहनत करेगी।’ पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज अध्यादेश के स्थान पर लोकसभा में विधेयक पेश करने के लिए भाजपा की अगुवाई वाली सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि तीन केंद्रीय मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद यह कदम उठाया गया। तीन मंत्रियों ने आश्वासन दिया था कि सभी पक्षों को विश्वास में लिया जाएगा।