भुवनेश्वर: ओडिशा में मतगणना से एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने बुधवार को स्वीकार किया कि कांग्रेस राज्य में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी और वह अपना विपक्ष का दर्जा भी गंवा सकती है. पटनायक का बयान यह संकेत देता है कि ओडिशा में बीजद और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है. उनके इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस स्थिति के लिए पार्टी प्रदेश नेतृत्व पर खुलेआम आरोप लगाने लगे. पटनायक ने एक्जिट पोल पूर्वानुमानों पर प्रतिक्रिया देते हुए यहां कहा, ‘‘हम (कांग्रेस) राज्य में अपने बल पर सरकार नहीं बना पाएंगे. यद्यपि हमारा प्रदर्शन 2014 से बेहतर होगा.’


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उन्होंने कहा,‘‘हम विपक्ष का दर्जा भी गंवा सकते हैं.’ कांग्रेस ने 2014 में ओडिशा विधानसभा में कुल 147 सीटों में से मात्र 16 पर जीत दर्ज की थी और लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोलने में असफल रही थी. इस बार के एक्जिट पोल में पार्टी के लिए 15 विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट का अनुमान जताया गया है. ज्यादातर एक्जिट पोल के पूर्वानुमानों में इस बार ओडिशा में भाजपा के शानदार प्रदर्शन की उम्मीद जताई गई है.


पटनायक ने यद्यपि दावा किया कि वह स्वयं भंडारीपोखरी और घासीपुरा दोनों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करेंगे जिन पर वह खुद लड़े थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जगन्नाथ पटनायक ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की खराब चुनाव तैयारी और प्रबंधन के विरोध में ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की समन्वय समिति और प्रदेश चुनाव कमेटी से इस्तीफा दे दिया है.


उन्होंने कहा, ‘प्रदेश नेतृत्व राहुल गांधी की न्याय योजना और किसानों के लिए कार्यक्रमों का प्रचार करने में असफल रहा. साथ ही पार्टी टिकट बंटवारे और चुनाव प्रबंधन में अपनी नीति बरकरार रखने में असफल रही...मैंने अपना इस्तीफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भेज दिया है.’ पूर्व मंत्री ने कहा कि पार्टी में गलतियों को ठीक किया जाना चाहिए और इस बार मौका गंवाने के कारणों पर चर्चा होनी चाहिए. जगन्नाथ पटनायक ने कहा, ‘मैंने इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी या अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा नहीं दिया.’


सुकिंदा विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री सरत राउत ने सीधे ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी को जिम्मेदार ठहराया और उन पर चुनाव का प्रबंधन में असफल रहने का आरोप लगाया.